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सरबजीत की मौत के लिए कौन है गुनाहगार ?

sarbjeet singh 11पाकिस्तान के लाहौर के जिन्ना अस्पताल में पिछले 6 दिनों से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे सरबजीत की रात 12:45 पर मौत हो गई. इस बात की जानकारी इसलामाबाद में मौजूद भारतीय उच्चायोग ने दी. सरबजीत सिंह का पोस्टमार्टम आज यानि गुरूवार को होगा जिसके बाद उनका शव भारत सरकार के हवाले कर दिया जाएगा.


महानायक के प्रशंसक थे सत्यजित रे


26 अप्रैल को हुआ थासरबजीत पर हमला

गौरतलब है कि 26 अप्रैल को सरबजीत सिंह पर लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला करके बुरी तरह से जख्मी कर दिया था, जिसके बाद सरबजीत को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में ले जाया गया. सरबजीत पर हमला करने वालों में आमिर आफताब और मुद्दसर नाम के दो खूंखार कैदियों का हाथ सबसे ज्यादा बताया जा रहा था. सूत्रों के मुताबिक अक्सर शाम के वक्त सरबजीत, आमिर और मुद्दसर तीनों साथ में घूमने जाया करते थे. ऐसा माना जा रहा था कि अफजल और कसाब की मौत के बाद सरबजीत पर हमला पाकिस्तान की आईएसआई ने कराया था.

गौरतलब है कि पिछले दिनों गंभीर रूप से घायल होकर कोमा में चले गये सरबजीत का परिवार पाकिस्तान सरकार द्वारा मिले वीजा पर उनसे मिलने लाहौर के जिन्ना अस्पताल पहुंचा था. अस्पताल पहुंचकर अपने भाई की स्थिति जानने के बाद दलबीर ने सरबजीत का इलाज विदेश में कराये जाने की मांग की थी. पत्नी सुखप्रीत कौर ने भी पाकिस्तान में सरबजीत के सुरक्षित न होने की बात कह भारत सरकार से मदद की मांग करते हुए भारत में उनका इलाज कराए जाने की मांग की थी.


सरकार पर हमला

सरकार के ढुलमुल रवैए को देखते हुए सरबजीत के परिवार का गुस्सा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर फूटा है. उनके परिवार का मानना है कि भारत सरकार के लिए यह शर्म की बात है कि अपने एक नागरिक को नहीं बचा सकी. सरबजीत की बहन दलबीर का आरोप है कि मनमोहन सिंह की सरकार ने उनके परिवार को धोखा दिया है. दलबीर कौर ने कहा था कि यदि सही समय पर कार्रवाई की गई होती तो सरबजीत की यह हालत नहीं होती. केन्द्र ने सरबजीत को बचाने के लिये एक बार भी कोशिश नहीं की.


शहीद के दर्जे की मांग

इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मांग की कि किसी स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी से पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत की परिस्थितयों की जांच कराई जानी चाहिए. उधर सरबजीत सिंह के परिवार ने भी मांग की है कि उनका शव उन्हें सौंप दिया जाए और उन्हें शहीद घोषित किया जाए. बीजेपी ने भी सरबजीत को शहीद का दर्जा दिए जाने और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किए जाने की मांग की है.


ध्यातव्य है कि 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट और जासूसी के लिए पाकिस्तानी कोर्ट ने सरबजीत को दोषी मानते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई थी. इस हमले में में 10 लोग मारे गए थे. सरबजीत का मामला शुरू से ही हाई प्रोफाइल रहा. 2006 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया. उसके बाद 2008 में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने सरबजीत की दया याचिका को वापस कर दिया. पिछले साल जून में पाकिस्तान की सरकार ने कहा था कि सरबजीत सिंह रिहा होंगे. लेकिन बाद में बयान बदलते हुए कहा कि सरबजीत नहीं सुरजीत रिहा होंगे.


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