कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम से पहले जिस तरह से केंद्र में विपक्षी पार्टी भाजपा ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार की घेराबंदी की थी नतीजे आते ही पार्टी मूर्छा में आ गई. पार्टी का हर नेता इस बात को लेकर सदमे में है कि आखिरकार कांग्रेस को इतना बड़ा बहुमत कैसे मिला जबकि खुद की झोली में नाममात्र की सीटें ही आईं. आपको बता दें राज्य की 224 सीटों में से जिन 223 सीटों पर चुनाव हुए, उनमें से कांग्रेस ने 121 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि भाजपा केवल 40 सीटों पर सिमट गई.
हम तो डूबे हैं सनम तुम्हें भी ले डूबे
जातिगत समीकरणों को साधकर बीएस येदियुरप्पा के साथ मिलकर जिस तरह से बीजेपी ने पांच सालों तक सत्ता का भोग किया था आज येदियुरप्पा के अलग हटते ही पार्टी अपनी पुरानी स्थिति में आ गई. वैसे भाजपा का साथ छोड़ना येदियुरप्पा को भी रास नहीं आया. भाजपा से अलग हटकर येदियुरप्पा ने जोश में तो अपनी नई पार्टी बना ली लेकिन इस चुनाव में मात्र 6 सीट ही पा सके.
मोदी मंत्र हुआ फेल
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी के मुख्य चेहरे के रूप में प्रस्तुत कर रही है लेकिन कर्नाटक में हार के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि मोदी एक राष्ट्रव्यापी नेता हैं या फिर उनका दायरा केवल गुजरात तक ही है. कर्नाटक की इस जीत ने कांग्रेस को नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानों के तीर चलाने का मौका दे दिया है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत पार्टी के कई नेताओं ने कर्नाटक चुनाव के नतीजों को मोदी और बीजेपी की विचारधारा को खारिज करने वाला बताया.
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राहुल बने जीरो से हीरो
पिछले दो-तीन सालों से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का प्रदर्शन जिस तरह से था उससे पार्टी के अलाकमान से लेकर हर बड़ा नेता चिंतित था. अघोषित रूप से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने के बावजूद भी वह राज्यों में पार्टी को जीत नहीं दिला पा रहे थे जिसकी वजह से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल भी नीचे गिर रहा था. कार्नाटक में पार्टी की जीत के बाद हर कोई राहत की सांस ले रहा है. कांग्रेस ने इस जीत को राहुल गांधी से जोड़ दिया है. कर्नाटक में कांग्रेस की जीत पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि कर्नाटक में मिली जीत का पूरा श्रेय राहुल गांधी को जाता है. राहुल गांधी ने कर्नाटक की 63 सीटों पर प्रचार किया था जिसमें से कांग्रेस को 34 सीटें मिलीं.
सहयोगी दल के ताने
भाजपा और उनके सहयोगी दलों में तनातनी कोई नई बात नहीं है लेकिन बीजेपी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जगदीश शेट्टार की अगुवाई वाली सरकार की हार पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की खुशी को देखकर हतप्रभ है. उद्धव ठाकरे ने कहा था, किसी को भी कर्नाटक में कांग्रेस के जीतने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से खुश हूं, क्योंकि सीमावर्ती इलाकों के लोगों के साथ हमेशा नाइंसाफी करने वाली बीजेपी सरकार सत्ता से बेदखल हो गई. उधर जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने भी कहा कि मोदी की खोखली हवा खड़ी की गई है जो इस चुनाव परिणाम के बाद जगजाहिर हो गया.
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की इस बड़ी हार के बाद पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की खामियों को किस तरह भुनाया जाए क्योंकि कांग्रेस के खिलाफ माहौल होने के बावजूद भी अगर पार्टी को जबरदस्त हार नसीब हो रही हैं तो जरूर विचार करने की आवश्यकता है नहीं तो 2014 की राह मुश्किल हो जाएगी.
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