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Ram Jethmalani: इस सनकी वकील को नहीं समझ पाए लोग

ram jethmalani 1कई बड़े हाईप्रोफाइल व्यक्तियों का अदालत में मुकदमा लड़ने वाले जाने-माने वकील और राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी (Ram Jethmalani) आज अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ हो चुके हैं. अभी उन्हें पार्टी से हटाए हुए 24 घंटा भी नहीं हुआ कि उन्होंने पार्टी के काले सच को बाहर लाने की भी बात कह दी.


खुद को भाजपा से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपने बयान में कहा कि बीजेपी में ऐसे कई लोग हैं, जो पार्टी के अंदर रहकर उसे बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. यह वही लोग हैं जिन्होंने मुझे पार्टी से निष्कासित कराया है. उन्होंने कहा कि काले धन के खिलाफ उनके अभियान की वजह से उन्हें भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से हटाया गया है. जेठमलानी ने आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर कुछ लोग हैं, जो काले धन के बारे में नहीं बोलना चाहते हैं. अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले राम जेठमलानी (Ram Jethmalani) ने आगे कहा कि ‘मैं चुप नहीं बैठूंगा. ऐसे लोगों का मैं पर्दाफाश करूंगा. जेठमलानी ने यह बात एक टीवी चैनल के सामने कही.


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पार्टी से निष्कासन के पहले राम जेठमलानी का ओहदा भारतीय जनता पार्टी में एक ऐसे वरिष्ठतम नेता के रूप में था जो पार्टी के शुरुआती समय से ही जुड़ा हुआ है. अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में कानून मंत्री रहे जेठमलानी की छवि हाल के दिनों में प्रचार के भूखे और सनकी वकील की रही, जो किसी भी मुद्दे पर कब पार्टी का सिर नीचा करा दे पता नहीं. 89 साल के हो चुके जेठमलानी के बारे कुछ नेताओं का कहना है कि वह आज तक उन्हें समझ नहीं पाए हैं.


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राम जेठमलानी (Ram Jethmalani) का विवादित बयान

पिछले साल नवंबर में उन्होंने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया था. जेठमलानी ने कहा था कि “राम एक बुरे पति थे. मैं उन्‍हें बिलकुल पसंद नहीं करता. मछुआरों के कहने पर कैसे वो सीता को वनवास भेज सकते थे.” राम जेठमलानी के इस विवादित बयान पर हंगामा मच गया था. धर्मगुरुओं से लेकर हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने उनसे माफी मांगने को कहा था.


राम जेठमलानी (Ram Jethmalani) के एक अन्य बयान की वजह से भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी. उन्होंने भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी से इस्तीफे की मांग को लेकर मोर्चा खोला था. जेठमलानी ने गडकरी को सलाह दी थी कि वो पार्टी के हित में और स्वतंत्र जांच होने तक पार्टी के अध्यक्ष पद को छोड़ दें. इसके अलावा जेठमलानी ने पिछले साल सीबीआई निदेशक के रूप में रंजीत सिन्हा की नियुक्ति के सरकार के फैसले को सही ठहराया था, जिसके बाद भाजपा के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी.


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