आईपीएल मैचों में स्पॉट फिक्सिंग को देखते हुए हाल में केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने कहा था कि भारत में क्रिकेट की राष्ट्रीय संचालन संस्था बीसीसीआई को सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के अंतर्गत आना चाहिए. उनका कहना वाजिब था क्योंकि जिस तरह से अब बीसीसीआई और उससे जुड़े लोग मनमानी कर रहे हैं उससे तो एक बात साफ है कि वह जाहिर होने देना नहीं चाहते कि उनकी संस्था भ्रष्ट लोगों की संस्था है और जहां पर अनियमितता और अनैतिक काम करके क्रिकेट के चाहने वालों को बेवकूफ बनाया जाता है.
वैसे अजय माकन पहले भी जब खेल मंत्री थे तो बीसीसीआई को आरटीआई के जरिए घेरने का प्रयास कर चुके थे लेकिन राजनीति और सत्ता से जुड़े नेता और मंत्री इसका विरोध कर रहे थे. यहां पूर्व खेल मंत्री अजय माकन की बात इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि एक आम दर्शक जिसका क्रिकेट से बेहद ही लगाव रहता है, वह जान नहीं पाता कि राजनीति के मैदान पर एक-दूसरे के विरोधी क्रिकेट के मैदान पर एक-दूसरे के प्रेमी कैसे हो जाते हैं.
कुछ यूं ‘लाल बजरी’ अस्तित्व में आया
जिस एन. श्रीनिवासन (N Srinivasan) को पद से हटाने के लिए हर वर्ग की तरफ से मांग उठ रही है वह मांग बीसीसीआई के अधिकारियों की तरफ से पुरजोर तरीके से क्यों नहीं उठ रही है. अब रविवार की बात लीजिए, माना यह जा रहा था कि चेन्नई में हुए बीसीसीआई के अधिकारियों की बैठक में एन श्रीनिवासन अपने इस्तीफे की घोषणा करने वाले थे. लेकिन बैठक में ऐसा क्या कुछ हुआ कि उनके इस्तीफे की मांग करने वाले भी उनके समर्थन में आ गए. भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली से लेकर कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला और अनुराग ठाकुर ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए बैठक में हिस्सा लिया लेकिन इस्तीफे की मांग नहीं रखी.
(N Srinivasan) ने घोषणा की है कि जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती तब तक वो बोर्ड अध्यक्ष से जुड़ी जिम्मेदारियां नहीं उठाएंगे.
(N Srinivasan) से डरते हैं या फिर इनका अपना कुछ लाभ होगा जिसकी वजह से ये श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग नहीं कर पाए.
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