आजकल सत्ता का सपना लिए राष्ट्रीय दल भारतीय जनता पार्टी अपने अंदरूनी कलह की वजह से परेशान है. वजह साफ है, एक तरफ जहां भाजपा के बड़े नेता और कार्यकर्ता प्रधानमंत्री पद के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री का नाम लिए थक नहीं रहे वहीं दूसरी तरफ भाजपा के दिग्गज और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी इसे पचा नहीं पा रहे इसलिए उन्हें जब भी मौका मिलता है अपने दर्द को सबके सामने लाने से पीछे नहीं हटते.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले आडवाणी ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक कार्यक्रम में परोक्ष रूप से शिवराज सिंह चौहान को मोदी से बेहतर सीएम बता दिया था. उन्होंने कहा था कि मोदी ने तो पहले से स्वस्थ राज्य को उत्कृष्ट बनाया है, जबकि शिवराज ने बीमारू राज्य को विकास प्रदेश में बदल दिया. आडवाणी ने शिवराज को वाजपेयी जैसा नेता भी करार दिया था. भाजपा के एक बड़े नेता की तरफ से दिए गए इस से यह समझा जाने लगा कि पार्टी में सब कुछ सही नहीं चल रहा. प्रधानमंत्री पद के मुद्दे को लेकर पार्टी बंटी हुई दिखाई दे रही है.
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वैसे यह पहली बार नहीं है जब 2009 के स्टार प्रचारक रहे लालकृष्ण आडवाणी शिवराज सिंह के समर्थन में और मोदी के खिलाफ बोल चुके हैं. मार्च के महीने में जब मध्यप्रदेश की एक जनसभा में आडवाणी 24 घंटे बिजली देने की योजना का शुभारंभ करने आए थे, उस समय उन्होंने शिवराज की अटल से तुलना करते हुए कहा था कि जिस तरह अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति और विकास के रोल मॉडल रहे हैं उसी प्रकार शिवराज सिंह चौहान भी मध्य प्रदेश के रोल मॉडल बन चुके हैं. तब यह पहला मौका था जब आडवाणी ने अटल बिहारी वाजपेयी से शिवराज की तुलना की थी.
लालकृष्ण आडवाणी द्वारा सार्वजनिक रूप से दिए गए इस तरह के बयानों से पता चलता है कि वह पूरी तरह से आहत हैं. जानकार इसके पीछे की जो वजह मान रहे हैं वह उनका पार्टी द्वारा लगातार उपेक्षित किया जाना है. इस समय आडवाणी अपनी बात पार्टी में पुरजोर तरीके से नहीं रख पा रहे हैं. पार्टी के बड़े नेता से लेकर तमाम कार्यकर्ता तक यह मानकर चल रहे हैं कि आडवाणी का वक्त समाप्त हो गया है और अब दौर मोदी जैसे लोकप्रिय नेता का आ चुका है. वैसे आडवाणी अपनी घटती वरीयता के पीछे मोदी को ही वजह मानते हैं. तभी तो एक तरफ पूरी पार्टी मोदी की सुर में सुर में मिला रही है वहीं आडवाणी अपना अलग ही राग अलाप रहे हैं.
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आडवाणी का यह बाल हठ देख पार्टी के बड़े नेता मीडिया के सामने सफाई दे-देकर थक गए हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आडवाणी अगर इसी तरह से बाल हठ करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब उनका भी हाल मशहूर वकील राम जेठमलानी जैसा हो जाएगा. फिलहाल खबर है कि वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलकर मोदी की उम्मीदवारी को लेकर मामले को निपटाने की कोशिश की है.
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