कहते हैं मानव अपने बुरे कर्मों का फल यहीं पर भोगकर जाता है. उसे तो दूसरे जन्म तक इंतजार भी नहीं करना पड़ता. आज जो कुदरत के कहर की वजह से पूरी दुनिया में तबाही हो रही है यह मानव के बुरे कर्मों का ही नतीजा है. देव भूमि उत्तराखंड में भी कुदरत की लगातार मार पड़ रही है. अब तक की खबर के मुताबिक बारिश और बादल फटने की वजह से समूचे उत्तर भारत में 130 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग या तो लापता हैं या फिर अलग-अलग इलाकों में फंसे हुए हैं.
जलमग्न हुआ केदारनाथ मंदिर
उत्तराखंड में आई भारी बारिश और बादल फटने के बाद आई बाढ़ से भयंकर तबाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि करीब 12 हजार फुट की ऊंचाई पर बने केदारनाथ मंदिर के आसपास सब कुछ बह गया है. अचानक आई इस तबाही से लगभग 50 लोगों की मौत हो गई. पलक झपकते ही मुख्य मंदिर के आसपास का इलाका मलवे में तब्दील हो गया. बताया जा रहा है कि मरने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है.
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71 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री फंसे
भगवान के दर्शन के लिए गए तीर्थयात्रियों ने कभी सोचा नहीं था कि जिस देव भूमि में वह जा रहे हैं वहां प्रकृति अपना तांडव मचाने वाली है. खबरों की मानें तो केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा पर निकले कुल 71,440 लोग उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग, चमोली, और उत्तरकाशी जिलों में फंसे हुए हैं. भारी भूस्खलन और सड़कें टूटने के कारण उनके आने जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं. प्रसिद्ध चार धाम यात्रा रोक दी गई है.
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रूद्रप्रयाग में तबाही का मंजर
कुदरत ने तबाही के लिए जिस क्षेत्र को सबसे ज्यादा निशाना बनाया वह उत्तरखंड का रूद्रप्रयाग जिला था. यहां पर अलकनंदा और मंदाकिनी नदियां 73 इमारतों को निगल गईं जिसमें कई होटल भी थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां 20 लोगों के मौत की खबर है.
सेना की जद्दोजहद
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना जद्दोजहद में लगी हुई है. राहत और बचाव कार्य के लिए हेलीकॉप्टर की सेवाएं ली जा रही हैं. राहत टीमों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से व कई जगहों पर हेलीकॉप्टर संभव न होने पर पैदल ही भेजा गया है. फंसे हुए लोगों के लिए खाने पीने की चीजों के पैकेट, कंबल, प्लास्टिक शीट और दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं.
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