देवी-देवताओं वाले भारत देश में भगवान और भक्त का रिश्ता बहुत ही ज्यादा पवित्र और अनूठा है. यहां मान कर चला जाता है कि भगवान अपने भक्तों के बारे में बुरा सोच ही नहीं सकता. वहीं अपने भगवान के दर्शन मात्र के लिए भक्त भी उस दुर्गम क्षेत्र की परवाह नहीं करता जहां पर उनके भगवान वास करते हैं. देव भूमि उत्तराखंड में तबाही का मंजर अभी शांत भी नहीं हुआ कि भगवान के भक्तों की लीला अब अमरनाथ में देखने को मिलेगी.
बम बम भोले के जैकारों के साथ बर्फानी बाबा के दर्शनों के लिए अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था गुरुवार को रवाना हो गया. पहले जत्थे में 3157 यात्री 96 छोटी तथा बड़ी गाड़ियों पर सवार होकर बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शनों के लिए निकले. इनमें दोनों यात्रा मार्गों पहलगाम और बालटाल के लिए यात्री रवाना हुए. माना यह जा रहा है कि श्रद्धालु 29 जून को पहला दर्शन करेंगे.
खराब मौसम का डर
काफी ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से अमरनाथ के मौसम में कई बदलाव आते रहते हैं. वहां साल के ज्यादातर महीनों में बर्फबारी और बारिश होती रहती है. इस बार भी खराब मौसम ने यात्रियों को परेशान कर रखा है लेकिन यात्री बेस कैंप में देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि चाहे मौसम खराब हो या हालात मगर उनके जोश में कोई भी कमी नहीं है.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
अमरनाथ यात्रा पर पिछले दो दशकों से आतंकवाद का साया मंडराता रहा है. कोई न कोई आतंकवादी संगठन यह संकेत देता है कि वह किसी भी तरह से यात्रा को सफल नहीं होने देगा. हालांकि सुरक्षाबलों की कड़ी सुरक्षा के बीच पिछले कुछ सालों से यात्रा को बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके सफल बनाया जा रहा है. यात्रा शुरू होने से पहले कश्मीर में सुरक्षा बलों पर आतंकी हमला हुआ था जिसके बाद सुरक्षा को और ज्यादा चाक चौबंद कर दिया गया है. आधार शिविर में सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. सुरक्षाबलों ने शिविर के अंदर तथा बाहर स्थायी बंकर स्थापित कर लिए है, जिनसे आधार शिविर के अंदर तथा बाहर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. पहलगाम से गुफा तथा बालटाल से गुफा तक के रास्तों पर सेना और बीएसएफ भी स्थानीय पुलिस का साथ दे रही है. कहा यह जा रहा है कि कुल एक लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी यात्रा के मोर्चे पर तैनात किए जा चुके हैं.
उत्तराखंड का कहर
उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के चलते अमरनाथ यात्रा पर इसका असर भी दिखने लगा है. भगवान शिव के पवित्र हिमलिंग स्वरूप के दर्शनों के लिए कश्मीर आने का मन बनाकर बैठे कई श्रद्धालुओं ने अब अपना इरादा बदल लिया है. स्थानीय होटलों और हाउसबोटों में विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं ने अपनी अग्रिम बुकिंग को रद्द कराना शुरू कर दिया है. फिर भी ऐसे कई श्रद्धालु हैं जिनकी आस्था और भक्ति इतनी मजबूत है कि इन सब बातों को ध्यान में न रखते हुए बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए चले जा रहे हैं.
क्या है अमरनाथ यात्रा
बाबा अमरनाथ बर्फानी की यह पवित्र गुफा भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के श्रीनगर से उत्तर-पूर्व दिशा में लगभग 14500 की ऊंचाई पर स्थित है. यह गुफा लगभग 150 फीट क्षेत्र में फैली है. इस गुफा की सबसे बड़ी विशेषता है यहां पर बर्फ के शिवलिंग का बनना जो अपने आप ही आकार लेता है. इस शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है जो नीचे गिरते ही बर्फ का रूप लेकर ठोस हो जाती हैं. यही ठोस बर्फ एक विशाल लगभग 12 से 18 फीट तक ऊंचे शिवलिंग का रुप ले लेता है.
ध्यान रखने योग्य बातें
अमरनाथ यात्रा पहाड़ी और दुर्गम इलाकों से होकर गुजरती है इसीलिए यहां पहने जाने वाले कपड़े और साथ ले जाने वाली सामग्रियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
1. महिलाओं को चाहिए कि वे साड़ी पहनकर जाने की बजाए सूट या फिर ट्रैक पैंट्स पहनकर अपनी यात्रा की शुरुआत करें.
2. पानी की बोतल और बरसात से बचने के लिए छाता और रेनकोट का भी प्रबंध कर लें.
3. ठंड से बचने का सभी सामान साथ ले जाएं. साथ ही चेहरे और शरीर पर लगाने के लिए क्रीम का भी प्रबंध करने के बाद ही जाएं.
4. खाने के लिए सूखे मेवे और चॉकलेट रखना ना भूलें.
यात्री यह अवश्य ध्यान रखें कि यथासंभव एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बसें सुबह ही पकड़ें और समय का विशेष ध्यान रखें.
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