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रोमांस थ्रिल एक्शन से आबाद थी इस डॉन की कहानी

एक बार जब व्यक्ति अपराध के दलदल में घुसता है तो कितना भी कोशिश कर ले इस दलदल से बाहर निकल नहीं सकता. सारी जिंदगी अपराध और उससे जुड़े लोग उसका पीछा नहीं छोड़ते. कुछ ऐसा ही हाल अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम का है. नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद अबु सलेम पर गुरुवार को हमला हुआ. सलेम के हाथ में दो गोलियां लगी हैं. जिसके बाद सलेम को बीती रात मुंबई के जेजे अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे खतरे से बाहर बताया था. सलेम को गोली मारने का आरोप जेल में ही बंद देवेंद्र जगताप पर है.


महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल के मुताबिक सलेम पर हुए हमले से संबंधित सभी अधिकारियों को जांच के आदेश दे दिए हैं. उधर पुलिस के अनुसार यह गैंगवार का मामला है और इस बात की जांच की जा रही है कि जेल के अंदर बंदूक कैसे पहुंची. आपको बता दें पुर्तगाल से सलेम के प्रत्यर्पण के बाद से सलेम पर यह दूसरा हमला है. इससे पहले 2010 में ऑथर्र रोड जेल में सलेम पर हमला हुआ था.


अबू सलेम का जीवन

कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे चुके अबु सलेम का जन्म 1968 में एक गरीब परिवार में हुआ. अबु सलेम के पिता पेशे से मजदूर थे. बचपन में ही पिता की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद जीवकोपार्जन की जिम्मेदारी अबु के कंधे पर आ गई. अपने परिवार को चलाने के लिए उसने शुरुआत में अपने गृहनगर में मैकेनिक का काम किया.


कुछ आंकड़े

अबु सलेम आजमगढ़ का रहने वाला है जहां से दाऊद इब्राहिम और हाजी मस्तान भी हैं

आजीविका कमाने के लिए 1985 में वह मुंबई में आया. इससे पहले वह दिल्ली में टैक्सी ड्राइवर था. यहां उसके कई तरह के काम किए.

उसके खिलाफ पहला मामला 1988 में मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया. आरोप था कि उसके पैसे के लिए अपने ही साथी पर हमला किया था.

1989 में वह पहली बार दाउद इब्राहिम के गिरोह शामिल हुआ. शुरुआत में वह दाउद के लिए जमीन के सौदों के काम को संभालता था. बाद में वह इस गैंग के लिए अन्य दूसरे काम को भी संभालने लगा. काम के प्रति ईमानदारी और क्षमता को देखते हुए उसका नाम अबु सलेम अब्दुल कयूम अंसारी से अबु सलेम रख दिया गया.

अबु सलेम को 1990 में मुंबई से दाउद इब्राहिम गिरोह की डी-कंपनी के संचालन का जिम्मा सौपा गया.

1992 में अबु सलेम पर फिल्म अभिनेता संजय दत्त को हथियार सप्लाई करने का आरोप लगा.

मार्च 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में अबु सलेम ने सक्रिय भूमिका निभाई. इस हमले में 250 लोग मारे गए थे जबकि 700 से अधिक लोग घायल भी हुए. इस घटना के बाद अबु सलेम की हैसियत दाऊद इब्राहिम के सामने बढ़ गई थी.

1997 में अबु सलेम पर संगीत की दुनिया के दिग्गज गुलशन कुमार को भी मारने का आरोप लगा.

1997 में गुलशन कुमार की हत्या और बॉलीवुड फिल्म निर्देशक राजीव राय और राकेश रोशन के मारने के प्रयास के जुर्म में उसकी भारत सरकार को तलाश थी.

अक्टूबर 2001 में अबु सलेम के चार गुर्गों को बांद्रा में मार गिराया गया. इन लोगों की आमिर खान, आशुतोष गोवारिकर और झामु सुगंध को मारने की प्लानिंग थी.

20 सितंबर, 2002 को इंटरपोल की मदद से पुर्तगाल में उसे मोनिका बेदी के साथ गिरफ्तार किया गया था. उसे 2005 में भारत लाया गया था.


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