कुछ साल पहले विकीलीक्स ने अपनी वेबसाइट पर अमरीकी रक्षा मंत्रालय से संबंधित कई ऐसे खुलासे किए थे जिसकी वजह से अमरीका के कई देशों के साथ रिश्ते खटास में पड़ गए. वेबसाइट ने इराक और अफगानिस्तान युद्ध पर कई संवेदनशील जानकारियां अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की थीं. कुछ इसी तरह के खुलासे अमेरिका के पूर्व खुफिया विश्लेषक एडवर्ड स्नोडेन ने किए हैं.
लीक की गई रिपोर्ट
खबर है कि लंदन स्थित समाचार-पत्र ‘द गार्जियन’ ने लीक गई रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि अमेरिका दूसरे देशों पर जासूसी के लिए व्यापक तरकीबों का इस्तेमाल कर रहा था. एडवर्ड स्नोडेन द्वारा लीक दस्तावेजों में यह दावा किया गया है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने वाशिंगटन स्थित जिन 38 देशों के दूतावासों की जासूसी की, उनमें भारतीय दूतावास भी शामिल था.
30 साल के एडवर्ड स्नोडेन ने कहा कि जासूसी करने के लिए व्यापक तरकीबें अपनाई जाती थीं. इनमें इलेक्ट्रॉनिक संचार की जासूसी से लेकर विशेष एंटीना के साथ ट्रांसमिशन संबंधी केबल में सेंध लगाना शामिल था. अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीकी मित्र देश यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, यूनान के दूतावासों के साथ ही जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, भारत और तुर्की के दूतावास इस फेहरिस्त में शामिल हैं.
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अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जासूसी कार्यक्रम का भंडाफोड़ करने के बाद अब अमरीका स्नोडेन की खोज कर रहा है. फिलहाल स्नोडेन मास्को के हवाई अड्डे के एक होटल में रुके हुए हैं. वह इक्वाडोर में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने भारत समेत 20 देशों से भी शरण मांगी है. उधर अमेरिकी प्रशासन ने विभिन्न देशों को चेतावनी दी है कि एडवर्ड स्नोडेन को शरण प्रदान नहीं की जाए क्योंकि वह जासूसी तथा गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के आरोपों में अमेरिका में वांछित हैं.
यूरोप की नाराजगी
इस खुलासे के बाद अमेरिका के यूरोप में साझीदार देश काफी नाराज हैं. जर्मनी ने सोमवार को कहा कि अगर मीडिया में आई जासूसी की खबरें सत्यापित होती हैं तब यह एक प्रकार से शीत-युद्ध जैसा रवैया होगा, जो कि अस्वीकार्य है. उधर फ्रांस ने भी कहा कि हम साझेदारों और दोस्तों के बीच इस प्रकार के रवैये को स्वीकार नहीं करते हैं. उसका कहना है कि इस प्रकार के खुलासे देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौतों को प्रभावित कर सकते हैं.
इटली के रक्षा मंत्री मारियो माउरो ने भी कहा है कि यूरोपीय संघ और इटली के कूटनीतिज्ञों की अमेरिका द्वारा की जा रही जासूसी की खबरों की जांच की जानी चाहिए. इसके सच साबित होने पर द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा. माना यह जा रहा है कि बुधवार को यूरोपियन संसद इस मुद्दे पर चर्चा कर सकती है. उधर भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि यह जासूसी का मामला नहीं है बल्कि यह सिर्फ कंप्यूटर स्टडी है.
एडवर्ड स्नोडे
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