यह भारत देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा जहां पर अच्छा काम करने वालों को सजा दी जाती है और बुरा काम करने वालों को सराहना. गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में तैनात पंजाब काडर की 2009 बैच की आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के साथ तो यही हो रहा है जिन्हें पिछले दिनों ग्राम कादलपुर थाना रबुपुरा में एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए और अदूरदर्शी तरीके से हटवाने के कारण निलंबित किया गया था. स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है. आज यह मामला इतना बढ़ गया है कि दुर्गा के निलंबन को वापस लिए जाने की मांग की जा रही है.
एक तरह जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनसे जुड़े मंत्रियों ने दुर्गा के निलंबन को सही ठहराया है वहीं दूसरी तरफ आईएएस बिरादरी ने इस मामले में दुर्गा के साथ खड़ी हुई दिखाई दे रही है. अखिल भारतीय आईएएस संगठन ने मांग की है कि युवा आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन तुरंत वापस लिया जाए. गौरतलब है कि हाल ही में आईएएस अधिकारी दुर्गा ने बालू खनन माफिया के खिलाफ अभियान छेडा था जिसके बाद से माफियाओं की तरफ से उन्हें हटाए जाने की मांग उठ रही थी.
दुर्गा के निलंबन पर सोशल मीडिया के माध्यम से जहां युवा वर्ग एक दिखाई दे रहा हैं वहीं राजनीति पार्टियां भी इस मौके को भुनाने में सक्रिय हो गई हैं. भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि राज्य (उत्तर प्रदेश) में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. कुछ है तो केवल गुंडाराक और माफियाराज. सरकार भ्रष्ट नेताओं का साथ दे रही है और ईमानदार अधिकारियो को सजा दे रही है. वहीं बसपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के मामले में दखल देकर राज्यपाल से न्याय दिलाने की अपील की है. उधर कांग्रेस ने भी अखिलेश सरकार की इस कार्यवाही को गलत बताया है. इस बीच अपनी सरकार के बचाव में यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि दुर्गा शक्ति पर कार्यवाही सही है. निलंबन का खनन से लेना-देना नहीं है. अखिलेश ने यह भी कहा कि बदले में कोई कार्यवाही नहीं की, दरअसल माहौल बिगाड़ने को लेकर यह कार्यवाही की गई है.
हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब उत्तर प्रदेश के किसी अधिकारी पर इस तरह की कार्यवाही की गई है. एसडीएम स्तर के कई जूनियर आईएएस अधिकारी को पहले भी माफियाओं के चलते निलंबित किया गया. वैसे माफियाओं का कहर केवल उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि समूचे भारत में भी देखने को मिलता है. अलग-अलग क्षेत्रों में किस तरह से यह माफिया गैरकानूनी तरीके से काम कर रहे हैं इसकी खबर लेने के लिए न तो सरकार आगे आई है और न ही प्रशासन. अगर कोई आगे आता भी है तो उसे हटा दिया जाता या फिर उसकी हत्या करवा दी जाती है.
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