पिछले साल 16 दिसंबर को हुई दिल्ली गैंगरेप की घटना के समय नाबालिग अभियुक्त के बारे में जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट ने अपना सुना दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त को बलात्कार और हत्या का दोषी पाया है और किशोर न्याय अधिनियम के तहत तीन साल की सजा सुनाई है.
इस साथ ही नाबालिक आरोपी को बाल सुधार गृह में रखा जाएगा. इस फैसले पर पीड़िता के परिवार के अलावा देश व दुनिया की भी निगाहें टिकी हुई हैं. सभी को बेसब्री से फैसले का इंतजार है. वारदात के वक्त राजू नाबालिग था. जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट ने आज जिस आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई है. यह वही आरोपी है जिसने अपनी अमानवीयता दिखाने में अन्य आरोपियों की तुलना में सारी हदें पार कर दी थी.
क्या कहता है कानून
किशोर न्याय अधिनियम के तहत अगर 18 साल से कम उम्र के किसी किशोर ने अपराध किया है तो उसे तीन वर्ष से अधिक की सजा नहीं दी जा सकती. साथ ही किशोर अपराधियों को अन्य अपराधियों के साथ जेल में रखने की बजाय उस किशोर आरोपी को बाल सुधार गृह में रखा जाता है.
16 दिसंबर को दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार के संबंध में जुवेनाइल बोर्ड द्वारा एक आरोपी को नाबालिग सिद्ध किए जाने पर हर तरफ से किशोर की उम्र को 18 साल से घटाकर 16 साल किए जाने की मांग उठने लगी थी. उस दौरान कई राज्य सरकारों और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज कर अधिनियम में संशोधन करके किशोर की आयु को घटाकर 16 साल किए जाने की मांग की. वैसे किशोर न्याय अधिनियम, 1986 के तहत किशोर की आयु 16 साल ही तय की गई थी. लेकिन सन् 2000 में बाल अधिकारों पर हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के बाद इस अधिनियम में बदलाव किया गया और इसे 18 साल कर दिया गया.
क्या था मामला
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था. घटना के दिन पीड़ित लड़की अपने मित्र के साथ दिल्ली के मुनीरका से करीब नौ बजे रात को एक निजी बस में चढ़ी थी. उसी बस में कथित रूप से छह लोगों ने युवती के साथ बर्बर तरीके से बलात्कार किया था. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था. कानून में बदलाव और आरोपियों को फांसी दिए जाने की मांग की जा रही थी. इस दौरान 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में पीड़ित छात्रा की मौत भी हो गई.
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