एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) मोदी को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार घोषित करने के लिए लालायित है वहीं दूसरी तरफ गुजरात के राज्यपाल कमला बेनीवाल मोदी की फजीहत करने में लगी हुईं हैं. भाजपा को अपने इशारे पर नचाने वाले मोदी इनके सामने कमजोर दिखाई देते हैं.
खबर है कि गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Gujarat Chief Minister Narendra Modi) और राज्यपाल कमला बेनीवाल के बीच एक बार फिर टकराव पैदा हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल कमला बेनीवाल ने संशोधित लोकायुक्त विधेयक पुनर्विचार के लिए फिर से मोदी को लौटा दिया है. राज्य सरकार के संशोधित बिल में लोकायुक्त के चयन में मुख्यमंत्री को ही ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. इसमे लोकायुक्त के अधिकार को सीमित किया गया है.
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गौरतलब है कि मोदी और बेनीवाल में लोकायुक्त की नियुक्त को लेकर काफी समय से विवाद है. 25 अगस्त 2011 को गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल ने सेवानिवृत्त जज आरए मेहता को आठ साल से रिक्त पड़े लोकायुक्त के पद पर नियुक्त कर दिया था. कमला बेनीवाल ने मेहता की नियुक्त राज्य सरकार की सहमति के बिना कर दिया था.
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन तब हाईकोर्ट ने न केवल राज्यपाल की ओर से लोकायुक्त की नियुक्ति को सही ठहराया था बल्कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कड़ी टिप्पणी भी की थी. इसके बाद राज्य सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन वहां से भी राज्य सरकार को राहत नहीं मिली.
मोदी की सरकार ने जो लोकायुक्त विधेयक तैयार किया था उसे अप्रैल में विधानसभा से पारित करा लिया गया था. लेकिन फिलहाल राज्यपाल ने इसे राज्य सरकार को लौटा दिया है. सूत्रों का कहना है कि 30 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान राज्य सरकार इस विधेयक को एक बार फिर राज्यपाल के पास भेजेगी.
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