पिछले कुछ दिनों से देश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा में कुछ ऐसा माहौल बन रहा है जैसे पार्टी को आम चुनाव में जीत हासिल हो गई हो और देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा इस विषय पर वाद-विवाद चल रहा हो लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं.
भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता अभी इस बात की जद्दोजहद में लगे हैं कि पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार यानी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर कैसे मुहर लगाई जाए. एक तरफ जहां आडवाणी खेमा मोदी के नाम को आगे किए जाने को लेकर शुरू से ही विरोध कर रहा है वहीं मोदी खेमा आडवाणी और दूसरे बड़े नेताओं को मनाने में लगा हुआ है. इस बीच यह खबर आ रही है कि मोदी ही बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे और आज (शुक्रवार) शाम 5 बजे बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में मोदी की उम्मीदवारी का ऐलान किया जा सकता है.
आडवाणी का हठ
बताया जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि मोदी को पार्टी की तरफ से देश का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदारी सौपी जाए. कल (गुरुवार) का पूरा दिन पार्टी नेताओं द्वारा आडवाणी को मनाने में ही लगा. नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह ने कई बार आडवाणी को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने, जिसके बाद राजनाथ ने पार्टी के बाकी नेताओं से बातचीत की और यह तय किया कि आडवाणी मानें या न मानें मोदी के नाम पर ही मुहर लगेगी.
वहीं खबर है कि आडवाणी के खेमे के दो नेता मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज भी पार्टी के फैसले के साथ हैं. सुषमा स्वराज ने कहा है कि मोदी को लेकर जो भी फैसला हो वह संसदीय बोर्ड की बैठक में ही हो.
पहले भी किया नजरअंदाज
आपको याद हो जब गोवा में इसी साल नरेंद्र मोदी को भाजपा की तरफ से चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया उस समय भी लालकृष्ण आडवाणी काफी नाराज रहे. आडवाणी खराब तबीयत का बहाना बनाते हुए बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल नहीं हुए. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें नजरअंदाज करके मोदी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया.
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