कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सवालों से घिरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि वो कोयला घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही सीबीआई जांच के लिए तैयार है. उन्होंने कहा उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है. चीन और रूस की यात्रा से वापस लौट रहे डॉ. मनमोहन सिंह ने विशेष विमान में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देश में नफरत की राजनीति फैल रही है, जिससे वे चिंतित हैं.
क्या है मामला
कुछ दिन पहले पीसी पारेख ने कहा कि अगर सीबीआई को कोयला खदानों के आवंटन में साजिश की बू आ रही है तो सबसे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी नंबर वन बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सीबीआई को लगता है कि तालाबीरा खदान हिंडाल्को को आवंटित करने में कोई साजिश हुई है तो प्रधानमंत्री को आरोपी नंबर वन बनाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ही आवंटन को मंजूरी दी थी. पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने कोयला आवंटन घोटाले में एफआईआर में अपने नाम की खबर सुनकर यह बात कही थी. पारिख मार्च 2004 में कोयला मंत्रालय के सचिव बने. उस समय केंद्र में एनडीए की सरकार थी. पारिख 2005 में कोयला सचिव थे.
कभी तू चीज बड़ी थी मस्त-मस्त..
गौरतलब है कि कोयला आवंटन घोटाले में सीबीआई ने नए एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें देश के बड़े उद्योगपतियों में एक कुमारमंगलम बिड़ला और कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव पीसी पारिख का नाम दर्ज था. कुमारमंगलम बिड़ला के खिलाफ सीबीआई ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है. उनकी कंपनी हिंडाल्को पर कोल ब्लॉक आवंटन में घपले का आरोप है. इस सिलसिले में आदित्य बिड़ला ग्रुप के कई अफसरों के नाम भी एफआईआर दर्ज की गई है. यह मामला 2005 का है, जब ओडिशा के झारसुगुडा जिले में हिंडाल्को को तालाबीरा दो कोल ब्लॉक दिए गए.
इस तरह से देखा जाए तो एक बार फिर कोयला आवंटन घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर आता दिख रहा है. चुनाव में विपक्षी पार्टियां इसे भुनाने की जरूर कोशिश करेंगी.
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