यह वोट ऐसी चीज है जिसे पाने के लिए पार्टियां कुछ भी कर सकती है. वह वोटरों को लालच दिखाती है, एक दूसरे के खिलाफ वैमनस्य पैदा करती है. अगर यह भी संभव न हो तो वह लोगों की जान लेने से भी नहीं हिचकिचाती.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रविवार को पटना के गांधी मैदान में ‘हुंकार रैली’ के पूर्व श्रृंखलाबद्ध हुए बम विस्फोट इसी का ही नतीजा माना जा रहा है. इस हमले पांच लोगों की मौत हो गई है जबकि 83 लोग घायल हो गए. इस बीच राजनीति पार्टियों ने श्रृंखलाबद्ध हमलों का राजनीतिकरण करने में तनिक भी देरी नहीं लगाई. आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. फिलहाल बम विस्फोटों की जांच के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीमें पटना रवाना की गई हैं.
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इस कहा जा रहा है कि बिहार की राजधानी पटना में हुए सीरियल बम धमाकों के तार झारखंड की राजधानी रांची से हैं. रविवार की देर रात रांची से झारखंड पुलिस ने दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है. इन दोनों संदिग्धों को रांची के धुर्वा इलाके की सिठियो बस्ती से पकड़ा गया.
पटना के गांधी मैदान में ‘हुंकार रैली’ के पूर्व श्रृंखलाबद्ध हुए बम विस्फोट ने कई अहम सवाल छोड़े हैं.
कई अहम सवाल
1. बताया जा रहा है कि इस रैली का आयोजन भाजपा की तरफ से पिछले कई महीनों से किया जा रहा है. इसके लिए राज्य भाजपा के नेताओं ने बिहार सरकार से अनुमति भी ले ली थी. इसके बावजूद भी मोदी की विशाल रैली में प्रसाशनिक चुक कैसे हो गई.
2. क्या पार्टियां एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए लोगों की जान का सहारा ले रही हैं ?
3. भारतीय खुफिया एजेसी पर हमेसा से ही सवाल उठाए जाते रहे हैं. तो क्या पटना के गांफी मैदान में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोट भी भारतीय खुफिया एजेसी की विभलता का नतीजा है.
4. क्या यह विस्फोट नरेंद्र मोदी की उस सोच का नतीजा है जो उन्हें मुसलमानों का खलनायक बनाती है.
5. देश में आगामी चुनाव को देखते हुए, क्या इस हमले के पीछे आतंकवादियों का भी हाथ हो सकता है.
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