भारत में नेताओं की क्या स्थिति है यह बात किसी से छुपी नहीं है. ऐसा कोई भी दिन नहीं जाता जब व्यवस्था से पीड़ित आमजन इन नेताओं की भ्रष्ट नीतियों और आचरण के बारे में चर्चा नहीं करता. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि देश में एक ऊंचे पद पर विद्यमान कोई सरकारी व्यक्ति सार्वजनिक रूप से संसद में बैठने वाले नेताओं की आलोचना करता हो.
अभी-अभी भारत रत्न से नवाजे जाने वाले मशहूर वैज्ञानिक सीएनआर राव ने नेताओं पर बयान देकर विवाद पैदा कर दिया है. सीएनआर राव ने वैज्ञानिक कार्यों के लिए कम फंड देने के लिए नेताओं को लताड़ लगाई है. एक प्रेस कांफ्रेंस में प्रो. राव ने नेताओं को मूर्ख करार दिया.
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रविवार को एक तरफ जहां सचिन तेंदुलकर (दूसरे भारत रत्न) अपना 24 साल का अनुभव प्रेस कांफ्रेंस के जरिए मीडिया के सामने व्यक्त कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ प्रो. राव ने प्रेस कांफ्रेंस में भड़के हुए दिखाई दिए. राव ने कहा कि रिसर्च के लिए और ज्यादा राशि दी जानी चाहिए. राव ने गुस्से में अपना आपा खोते हुए कहा, ‘इन मूर्ख (इडियट) नेताओं ने (रिसर्च के लिए) हमें कम राशि दी इसके बावजूद हम वैज्ञानिकों ने कुछ तो किया है.
प्रो. राव के बयान से ऐसा लगता है कि वह भी आम लोगों की तरह सरकार (नेताओं) की नीतियों और व्यवस्थाओं से ग्रसित है. राव का दुखड़ा एक आम सरकारी पेंशनधारी की तरह है जिसे हर महीने पेंशन तो मिलता है लेकिन इतना कम होता है कि अपना पेट भी नहीं भर सकता.
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शनिवार को भारत सरकार द्वारा प्रो. राव को उनके वैज्ञानिक कार्य को देखते हुए भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा की गई. लेकिन रविवार को जो उन्होंने बयान दिया ऐसा लगता है कि वह सचिन की तरह देश का रत्न बनने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं थे. सही तो यह होता कि सचिन भी अपने प्रेस कांफ्रेंस में प्रो. राव की तरह बीसीसीआई की भ्रष्ट नीतियों को उजागर करते तब जाकर उनकी महानता और ज्यादा मुखर होती.
अब सवाल उठता है कि प्रो. राव के इस बयान के बाद क्या देश के नेता ओम पुरी और किरण बेदी की तरह राव के खिलाफ संसद में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने पर विचार करेंगे. या फिर यह भी हो सकता है कि वह सरकार पर दबाव बनाएं कि प्रो. राव को भारत रत्न (सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) न दिया जाए. (गौरतलब है कि 2011 में अन्ना आंदोलन के समय ओम पूरी और किरण बेदी ने सांसदों पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था).
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