बहुप्रतीक्षित केस आरुषि तलवार और हेमराज हत्याकांड की सुनवाई हो चुकी है. गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार व नूपुर तलवार (Rajesh Talwar and Nupur Talwar) को हत्या तथा सबूत मिटाने का दोषी करार दिया है. इस मामले में शुरू से ही सीबीआई ने पूरे केस को तलवार दंपत्ति के खिलाफ मोड़े रखा. उन्होंने मीडिया के सामने इस बात की खूब हवा दी कि तलवार दंपत्ति ही दोषी है.
आइए जानते हैं क्या कहती है सीबीआई की थ्योरी
राजेश और नूपुर तलवार (Rajesh Talwar and Nupur Talwar) एक आम मध्यवर्गीय दंपत्ति थे जो अपने 13 साल की अपनी बेटी आरुषि के साथ नोएडा में रहते थे. ये दंपत्ति दांतों के डॉक्टर थे. सीबीआई के मुताबिक 15-16 मई 2008 की रात राजेश तलवार अपनी बेटी आरुषि को उसके कमरे में छोड़ने के बाद अपने कमरे में गए तो थोड़ी देर बाद राजेश तलवार ने कुछ आवाज सुनी. आरुषि का कमरा उनके कमरे के पास ही था. राजेश आवाज सुनकर वे घर के दूसरे कोने पर स्थित हेमराज के कमरे में गए. वहां से उन्होंने अपना गोल्फ स्टिक उठाया और फिर आरुषि के कमरे में गए. अंदर उन्होंने देखा कि आरुषि और नौकर हेमराज बिस्तर में एक साथ हैं. दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखते ही उनके सिर पर खून सवार हो गया और उन्होंने दोनों को मार डाला.
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उधर शोर सुनकर उनकी पत्नी नूपुर भी उठ गईं. राजेश तलवार ने नूपुर को पूरी घटना की जानकारी दी. यह देखने के बाद कि उनकी अपनी इकलौती बेटी अब मर चुकी है, नूपुर ने तुरंत हरकत में आते हुए अपने पति की मदद करनी शुरू कर दी. इसके बाद दोनों ने एक योजना बनाई. योजना यह था कि दोनों यह दिखाना चाहते थे कि इस घटना में बाहरी लोगों का हाथ है. दोनों ने आरुषि और हेमराज के गले रेत दिए. इसके बाद वे हेमराज की लाश को सीढ़ियों से घसीटते हुए छत पर ले गए. इसे छिपाने के लिए इस पर कूलर का पैनल डाला और फिर नीचे आ गए. इसके बाद उन्होंने उस जगह की साफ-सफाई कर दी और सारे सबूत मिटा दिए. उन्होंने खून से सने अपने कपड़े फेंक दिए और सुबह का इंतजार करने लगे.
इस थ्योरी को पहले नोएडा पुलिस ने पेश किया और फिर सीबीआई के अधिकारियों ने आगे बढ़ाया. सीबीआई 2008 के बाद से ही इस फिल्मी घटना को अदालत और मीडिया के सामने लगातार पेश करती रही है.
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