बीसवीं शताब्दी के राजनैतिक चरित्र को बदलने वाले और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का बृहस्पतिवार रात निधन हो गया. 95 वर्षीय मंडेला फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित थे. उनका लंबे समय से इलाज चल रहा था. नस्लभेद के खिलाफ तीन दशक के संघर्ष के बाद 1994 के चुनाव में मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए थे. देश के पहले काले राष्ट्रपति का पद संभालते हुए उन्होंने कई अन्य संघर्षों में भी शांति बहाल करवाने में अग्रणी भूमिका निभाई. उन्हें 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. 1990 में भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न भी उन्हें दिया जा चुका है.
समूचे विश्व में शोक की लहर
जैकब जूमा: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने उनकी मौत की पुष्टि करते हुए टेलीविजन संबोधन में कहा कि देश के पहले लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन रोलिहलाला मंडेला का बृहस्पतिवार रात स्थानीय समय रात आठ बजकर 50 मिनट पर निधन हो गया. वह अब आराम कर रहे हैं..शांति में हैं. हमारे देश ने अपना महान सपूत खो दिया है. हमारे देश के लोगों ने अपना पिता खोया है. जूमा ने मंडेला की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ किए जाने की घोषणा की.
मोदी या राहुल – किसकी बचेगी लाज ?
बराक ओबामा: नेल्सन मंडेला को अपनी प्रेरणा का सोत्र मानते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज दक्षिण अफ्रीकी रंगभेद विरोध के प्रणेता के निधन पर शोक जताया और कहा कि दुनिया को उनके जैसा नेता दोबारा नहीं मिल सकता.
बान की मून: संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने अपने शोक संदेश में मंडेला को न्याय का मसीहा करार देते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों के जीवन को प्रकाशमान किया. उन्होंने कहा नस्लभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई को भुलाया नहीं जा सकता.
डेविड कैमरन: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा हमने अपना हीरो खो दिया. एक चमकते सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
मनमोहन सिंह: भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि इस महान शख्सियत के निधन से जितना नुकसान दक्षिण अफ्रीका को पहुंचा है, उतना ही नुकसान भारत को हुआ है.
नस्लभेद के खिलाफ संघर्ष
सन 1918 में ईस्टर्न केप ऑफ दक्षिण अफ्रीका के एक छोटे से गांव में जन्मे नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका समेत पूरे विश्व में अपनाई जा रही रंगभेद नीति का विरोध करते हुए खुद को स्वतंत्रता और समानता के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया. दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ अपनी विरोध की आग को जारी रखते हुए नेल्सन मंडेला को अपने जीवन के 27 साल जेल में गुजारने पड़े थे.
दक्षिण अफ्रीका के महात्मा गांधी
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी शासन के खिलाफ मंडेला की लड़ाई को भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी की लड़ाई के समान समझा जाता है. ‘सत्य और अहिंसा’ के लिए गांधी की हमेशा प्रशंसा करने वाले मंडेला ने 1993 में दक्षिण अफ्रीका में गांधी स्मारक का अनावरण करते हुए कहा था, गांधी हमारे इतिहास के एक अहम हिस्सा हैं.
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