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चुनावी सेमीफाइनल: ‘कांग्रेस’ हुई पस्त, ‘भाजपा’ हुई मस्त, ‘आप’ हुई जबरदस्त

delhi election4 दिसंबर को दिल्ली में हुए 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव के बाद यह लगने लगा था कि इस बार दिल्ली में कुछ अद्भुत होने वाल है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के साथ नई नवेली पार्टी आम आदमी पार्टी भी मैदान में थी. जिसकी वजह से मतदाताओं ने इस चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लिया और रिकॉर्ड तोड़ते हुए अब तक का सबसे ज्यादा यानी 65.13 प्रतिशत मतदान किया.


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चुनाव में मतदाताओं की सक्रियता का नतीजा यह रहा कि 8 दिसंबर (चुनावी नतीजे के दिन) कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की थी. जिस आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और बीजेपी ने निराधार बताकर हलके में लिया उसी पार्टी ने सबको चौकाते हुए ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है. पांच में से चार राज्यों की विधानसभा चुनावी परिणाम में दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने शानदर प्रदर्शन से पंद्रह साल से सत्ता पर काबिज कांग्रेस की शीला सरकार को न केवल बाहर खदेड़ा बल्कि सत्ता में जाने की उम्मीद लगाई बैठी बीजेपी को भी ऐसी लगड़ी मारी कि उसके लिए उठना मुश्किल हो रहा है.


दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को रविवार को भारी पराजय का सामना करना पड़ा वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई है जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर करने वाली पार्टी के रूप में उभरी.


दिल्ली

पिछले विधानसभा चुनाव-2008 की अपेक्षा इस चुनाव में कांग्रेस को 35 सीटों का नुकसान हुआ. वह सिर्फ आठ सीटों पर ही सिमट गई.

सबसे बड़ी पार्टी के रूप में वापसी करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 32 सीटों पर जीत दर्ज की है. 2008 में इस पार्टी को 23 सीटे मिली थी.

पिछले साल नवंबर में आई आम आदमी पार्टी को 28 सीटें हासिल हुई. जबकि अन्य के खाते में 2 सीटे गई.


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अन्य तीन राज्यों में चुनावी परिणाम

एक तरफ जहां ‘आप’ को दिल्ली में अप्रत्याशित सफलता मिली है वहीं बाकी तीन राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़) में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा वहीं भाजपा ने शानदार वापसी की.


मध्यप्रदेश

एक तरफ जहां मध्यप्रदेश में भाजपा के शिवराज चौहान की सरकार ने सत्ता में आने की हैट्रिक बनाते हुए इतिहास रचा वहीं दूसरी तरफ पिछले विधानसभा चुनाव से भी कम सीटों पर सिमटकर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने साबित कर दिया है कि वह मतदाता को आकर्षित करने में नाकाम रही.

मध्यप्रदेश में चौदहवीं विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 230 सीटों में से 163 पर जीत दर्ज की. वहीं, कांग्रेस को 58 सीटों पर जीत हासिल हुई है. कांग्रेस के पास पिछली विधानसभा में 71 सीटें थीं जबकि भाजपा के पास 143. बीएसपी भी 2008 के चुनाव के मुकाबले मप्र में 7 की बजाए 4 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की.


राजस्थान

राष्ट्रीय पार्टी भाजपा को सबसे बड़ी सफलता राजस्थान में मिली. राजस्थान विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 199 सीटों में से 162 सीटों पर कब्जा कर ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस की गहलोत सरकार को करारी शिकस्त दी है. वहीं कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर ही अपनी जीत दर्ज कर पाई. वाम दल इस बार अपना खाता भी नहीं खोल पाये जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी ने चार सीटों पर और क्षेत्रीय पार्टी ने दो स्थानों पर अपनी जीत दर्ज कराई है. सात निर्दलीय उम्मीदवार भी विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हो गए है. 2008 के  विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 78 सीटें मिली थी जबकि कांग्रेस को 96 सीटें.

छत्तीसगढ़

जिस राज्य से कांग्रेस को ज्यादा उम्मीद थी उस राज्य में भी पार्टी को करारी हार मिली और भाजपा ने तीसरी बार राज्य की सत्ता में वापसी की. छत्तीसगढ़ में भाजपा ने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में सत्ता की हैट्रिक बनाकर इतिहास रच दिया. राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 49 सीटें जीती है जबकि कांग्रेस को 39 सीटों पर ही सफलता हासिल हुई है. अन्य के खाते में 2 सीटें गई. 2008 में बीजेपी के पास 50 और कांग्रेस को 38 सीटें हासिल हुई थी.


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