दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली अभूतपूर्व सफलता के बाद आम आदमी पार्टी ने जंतर-मंतर पर धन्यवाद रैली का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता पहुंचे. इस धन्यवाद रैली में आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के भाषणों पर अगर नजर दौड़ाएं तो वह वहीं बात कहते हुए दिखे जो वह अपनी पार्टी की उत्पत्ति के समय से ही कहते आ रहे हैं जैसे..
अरविंद की यह बातें एक ओर जहां भविष्य में आम आदमी पार्टी की रुपरेखा को तैयार कर रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुला गांधी की वह बात याद दिला रही है जिसमें उन्होंने कहा था कि “दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और भाजपा परंपरागत तरीके से राजनीति के बारे में सोचती हैं. मैं समझता हूं हमें जनता के सशक्तिकरण के तरीके से समझने की जरूरत है. हमें ‘आप’ की सफलता से कुछ सीखना चाहिए. इस नई पार्टी ने बहुत सारे लोगों को जोड़ा जो काम परंपरागत पार्टियों ने नहीं किया”.
आज आम आदमी पार्टी ने जो सफलता प्राप्त की है उसके पीछे यही वजह है कि इन्होंने परंपरागत पार्टियों से अलग हटकर एक नई तरह की राजनीति को साधा है. एक ऐसी राजनीति जो जनता के द्वारा जनता के लिए की जाती है. आजादी के बाद सी ही भारतीय राजनीति अछूत के दौर से गुजर रही थी. इसमें सच्चे और ईमानदार लोग तो आना चाहते थे लेकिन धनबल, बाहुबल और गंदी राजनीति की वजह से अपना पैर पीछे कर लेते थे. आम आदमी पार्टी ने इसी गंदगी को साफ करने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश कर एक नई शुरुआत की है. हाल के दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखें तो आम आदमी पार्टी ने धनबल, बाहुबल को छोड़कर जनता के बल का सही इस्तेमाल किया है. पार्टी ने जनता के बीच जाकर जनता के मुद्दे उठाकर दूसरी पार्टियों को एक नई मिसाल दी है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में धमाकेदार प्रदर्शन को देखते हुए यहां पूरी संभावना है कि 2014 में आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव भी लड़ना चाहेगी. ऐसे में उन पार्टियों के लिए खतरे का संकेत है जो आम आदमी पार्टी को पानी के बुलबुले के समान समझती है, जो जल्द ही फूट जाता है.
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