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ये तो महज ‘युवराज’ की ताजपोशी की कवायद है

दो साल पहले लोकसभा में वह वाकया याद आता है जब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल पर बोलना शुरु किया था. उस समय अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ देशभर में आंदोलन चल रहा था. आंदोलनकारियों की मांग थी कि जल्द से जल्द जनलोकपाल बिल को पास किया जाए. जब लोकसभा में राहुल गांधी ने बोलाना शुरू किया तो सभी हैरान हो गए क्योंकि किसी को अंदाजा नहीं था कि लोकपाल पर बोलने के लिए कांग्रेस अपने युवराज को आगे करेगी. उस दौरान लोकसभा में कांग्रेस के युवराज ने जो भाषण दिया उसमें हुंकार ज्यादा और अन्ना के आंदोलन पर सहमति का भाव कम नजर आ रहा था.


अब बात करते हैं आज की. मुद्दा अभी भी लोकपाल का है लेकिन परिस्थितियां बिलकुल ही बदल चुकी हैं. अन्ना टीम बिखर चुकी है साथ ही पांच राज्यों में हुए चुनाव के बाद शायद सरकार को भी अपनी गलतियों का एहसास होने लगा है. दो साल पहले जिस जनलोकपाल बिल पास को करवाने के लिए पूरा देश एकजुट दिखाई दे रहा था वह जनलोकपाल बिल तो पास नहीं हुआ लेकिन सरकारी लोकपाल बिल पर मुहर जरूर लग गई. इसे कुछ महीने पहले विरोध कर रही भाजपा ने तो समर्थन दिया ही साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ने वाले अन्ना हजारे भी बिल के समर्थन में दिखे.


मंगलवार को राज्यसभा में छह घंटे की बहस के बाद लोकपाल बिल पहले ध्वनिमत से, फिर मतदान के जरिए पास किया गया. उम्मीद है कि बुधवार को लोकसभा में भी पास हो जाएगा. जैसे ही राज्यसभा में यह बिल पास हुआ महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि में अनशन पर बैठे अन्ना हजारे ने खुशी जाहिर की. उन्होंने लोकपाल विधेयक पारित कराने के प्रति राहुल गांधी की ‘प्रतिबद्धता’ की प्रशंसा की. जो राहुल गांधी दो साल पहले लोकपाल बिल पर चर्चा नहीं करना चाहते थे उस बिल पर अन्ना की तारीफ पाकर कांग्रेस गदगद है. इसलिए उन्होंने अन्ना की तारीफ के जवाब में राहुल गांधी ने समाजसेवी को ‘‘प्रिय’’ अन्ना हजारे के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस पत्र से उन्हें ‘‘बहुत प्रोत्साहन’’ मिला है. राहुल गांधी ने अपने पत्र में कहा, हम सभी देश के लोगों को जितनी संभव हो सके, उतनी सक्षम और मजबूत लोकपाल प्रणाली मुहैया कराने के प्रति प्रतिबद्ध हैं. इस काम में हम आपकी भूमिका का सम्मान करते हैं और इस समर्थन के लिए हम आपके बहुत आभारी हैं.


इस पूरी कवायद में जहां एक तरफ राहुल गांधी शुरु से ही केंद्र बिंदु रहे वहीं दूसरी तरफ वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहीं भी नाम नहीं था. ऐसा लग रहा था जैसे पूरी जद्दोजहद राहुल गांधी को अच्छा दिखाने की की जा रही हो. पांच राज्यों में हुए चुनाव और उसके परिणाम के बाद कांग्रेस और उससे भी ज्यादा राहुल गांधी की काफी किरकिरी हो रही थी. उस ओर से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेसियों ने लोकपाल बिल का जाल फेंका ताकि राहुल गांधी को पाक साफ बताकर उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए खड़ा किया जा सके.

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