भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ एक हथियार माना जाने वाला लोकपाल बिल आखिरकार संसद के दोनों सदनों में पास हो गया है. मंलगवार को राज्यसभा में पास होने के बाद आज इसे लोकसभा में भी पास कर दिया गया. वैसे लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी थी, लेकिन नए संशोधनों की वजह से बिल पर अब लोकसभा की दोबारा मंजूरी ली गई. अब बिल को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु भेजा जाएगा, उसके बाद यह बिल कानून बन जाएगा.
रालेगण सिद्धि में जश्न का माहौल
पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा में लोकपाल बिल पास होने के बाद महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि में जश्न का माहौल है. अन्ना हजारे पिछले आठ दिनों से लोकपाल की मांग को लेकर रालेगण में अनशन पर बैठे थे. लोकसभा में लोकपाल पारित होने के बाद अन्ना हजारे अपना अनशन खत्म कर सकते हैं.
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समाजवादी पार्टी का विरोध
एक तरह जहां सत्तापक्ष, विपक्ष और अन्ना हजारे ने इस बिल के पास होने पर खुशी जाहिर की है. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी इस बिल को लेकर खासी नाराज है. लोकपाल बिल पर हुए बहस में भाग लेते हुए समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने बिल को कलंक बताया. उन्होंने कहा कि इस बिल के कानून बनने से देश में अराजकता का माहौल बन जाएगा.
राहुल गांधी को क्रेडिट
हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस तरह से पटखनी मिली उससे कांग्रेस के उपाध्यक्ष और चुनाव में नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी की काफी किरकिरी हुई. यह बिल कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ राहुल गांधी के लिए आलोचनाओं से बच निकलने का साधन बना. इस बिल को पास कराने के लिए जितनी सक्रियता राहुल गांधी ने दिखाई और कोई न दिखा सका. यही वजह रही कि अन्ना हजारे ने मनमोहन की जगह राहुल गांधी की प्रतिबद्धता को लेकर तारीफ की.
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जनलोकपाल से अलग है सरकारी लोकपाल
सरकारी बिल को जहां एक तरफ गांधीवादी नेता और और फिलहाल अनशन पर बैठे अन्ना हजारे अपना समर्थन दे चुके हैं वहीं दूसरी तरफ ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल शुरू से ही इस बिल को नकारते आए हैं. सरकारी लोकपाल बिल में अभी भी सीबीआई केंद्र सरकार के ही अधीन है. सरकारी लोकपाल बिल में सिर्फ ग्रुप ए के कर्मचारियों को ही शामिल किया गया है जबकि ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों इससे बाहर रखा गया है. सरकारी लोकपाल में केंद्र के तर्ज पर राज्यों में लोकपाल के गठन की बात नहीं कही गई है.
गौरतलब है कि देश में लोकपाल को लेकर पिछले 45 सालों से छोटे और बड़े रूप में आंदोलन चल रहा था. अप्रैल 2011 में जनलोपाल बिल को लेकर गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा गया था. भारी दबाव के बाद वर्ष 2011 में लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया गया और इसे मंजूरी भी दी गई, लेकिन उस दौरान यह बिल राज्यसभा में पास नहीं हो सका था.
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