रांची के जेल से बाहर निकलने के बाद चारा घोटाले में दोषी ठहराए गए लालू प्रसाद यादव को दिल्ली की एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. अब आप सोच रहे होंगे कि जेल से निकलने के बाद देश की राजनीति का पारा चढ़ाने वाले लालू आखिरकार अस्पताल में कैसे भर्ती हो गए, तो घबराइए मत आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का ब्लड प्रेशर बढ़ा है जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल ले भर्ती कराया गया है.
लालू के अलावा बिहार के अन्य दिग्गज नेता और जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव को भी एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. शरद यादव को शुगर और ब्लड प्रेशर की बीमारी है. दोनों ही नेता बिहार की राजनीति के धुरी है. फिलहाल डॉक्टरों ने कहा कि लालू का ब्लड प्रेशर थोड़ा अधिक है, इसलिए उनकी कार्डियो थोरासिस सेंटर में इलाज चल रहा है. वहीं शरद यादव की ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा हुआ है जिसे कंट्रोल में लाने का प्रयास किया जा रहा है.
भारत में आक्रामक बल्लेबाजी की नींव यहां से पड़ी
रांची जेल से बाहर निकलने के बाद ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने अपने मनसूबे को साफ कर दिया था. वह इस बार भी लोकसभा चुनाव में कांगेस को अपना समर्थन देंगे. आपको बताते चले की हाल ही में कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश को संसद में पेश करने वाली थी लेकिन कांग्रेंस युवराज राहुल गांधी की नाराजगी की वजह से इस बिल को वापस लेना पड़ा.
गौरतबल है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दागी सांसदों और विधायकों को जोरदार झटका देते हुए कहा था कि अगर सांसदों और विधायकों को किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद दो साल से ज्यादा की सजा हुई, तो ऐसे में उनकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो जाएगी. कोर्ट ने यह भी कहा है कि ये सांसद या विधायक सजा पूरी कर लेने के बाद भी छह साल बाद तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माने जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भारतीय राजनैतिक दलों में खलबली सी मची हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट का यही फैसला लालू की सबसे बड़ी परेशानी है. वह जेल से तो बाहर आ गए हैं लेकिन कोर्ट के फैसले के मुताबिक वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन लालू को लगता है कि यदि वह कांग्रेस के साथ ऐसे ही जुड़े रहेंगे तो दागी नेताओं को बचाने वाले बिल दोबारा संसद में पेस किया जा सकता है इसलिए वह कभी राहुल की तारीफ करते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए सही नेता बताते हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के धुरविरोधी भाजपा को संप्रदायिक ताकत कहने में भी देरी नहीं करते.
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