कुछ महीने पहले तक भारतीय राजनीति को गंदी नाली के समतुल्य माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं कहा जा सकता. शायद इसकी मुख्य वहज आप आदमी पार्टी की सफलता और उसकी दृढ निश्चयी भाव हो सकता है. राजनीति कीचड़ है तो हमें इस कीचड़ में घुसकर ही उसे साफ करना होगा. यह विचार आम आदमी पार्टी के ही थे जिसे हर कोई ‘आप’ से जुड़कर साबित करने के फिराक में है.
जब से आप पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 70 में 28 सीटें जीतकर अप्रत्याशित सफलता हासिल की है तब से पार्टी भारतीय राजनीति में केंद्रबिंदु बनी हुई हैं. आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी पहली राजनीतिक धमक से ही भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों को नया पाठ पढ़ा दिया है. अपने फैसलों, तौर-तरीको और इरादो से राष्ट्रीय राजधानी की इस नवोदित पार्टी ने महज सवा साल के अंदर ही न केवल भारत में बल्कि विदेशों में अपनी विशिष्ट पहचान बना ली है. हर कोई आम आदमी पार्टी की डगर पर चलना चाहता है.
अतीत में भी मौत को देख चुके हैं शुमाकर
पिछले दिनों राहुल गांधी ने भी अपने लोगों से यही कहा था कि यदि पार्टी को जनता का विश्वास फिर से जीतना है, तो उसे केजरीवाल के लोगों से नई किस्म की राजनीति सीखनी होगी. अब भाजपा और कांग्रेस में भी ‘आप’ शैली की नकल करने की होड़ मची है. इधर केजरीवाल और उनकी सरकार प्रशासनिक फैसले लेते है उधर दूसरे राज्यों की सरकारों में इसका असर देखने को मिलता है. आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के उठाए जा रहे कदमों का प्रभाव विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस पर पड़ने लगा है. दिल्ली में बिजली टैरिफ में कमी को देखते हुए उत्तरी मुंबई सेकांग्रेस सांसद संजय निरुपम ने ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को लिखे पत्र में 500 यूनिट से कम खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को राहत देने की मांग की है.
अमेठी में कांग्रेस के लिए आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति है
उधर मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के नेताओं ने भी अब ‘आप’ के राजनीतिक फंडों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. भाजपा ने अपने कुछ नेताओं को आगे रखकर यह प्रचारित करना शुरू किया है कि उनकी पार्टी में भी केजरीवाल जैसे ईमानदार नेताओं की कमी नहीं है. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को आप के तर्ज पर घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने की सलाह दी है.
एक तरफ जहां राष्ट्रीय पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी जनता की सहानुभूति और समर्थन पाने के लिए ‘आप’ की राह पर चल रही है तो दूसरी तरफ यहीं पार्टियां आप को समर्थन देने के नाम पर असमंजस में दिखाई दे रही हैं खासकर कांग्रेस. दिल्ली में सरकार बनाकर इतिहास रचने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया. शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत की, जो पांच बजे तक चलेगी और उसके बाद वोटिंग कराई जाएगी. हालांकि कांग्रेस ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि उसके आठ विधायक सरकार के समर्थन में अपना वोट देंगे.
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