सियासती मकड़जाल और सुंदरी आज की राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं. छुटभैये नेता हों या फिर बड़े-बडे़ से नेता इन सुंदरियों के मोहपाश से कोई खुद को बचा नहीं पाया. सत्ता से सुंदरी या फिर सुंदरी बनकर सत्ता हासिल करना वैसे यह खेल बहुत ही पुराना है. लेकिन कहते हैं ना कि सियासत की दोस्ती कब अपनी असली औकात दिखा दे किसी को पता भी नहीं चलता.
अभी हाल ही में ताजा मामला यूपीए में केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत का है. 57 वर्षीय केरल से सांसद शशि थरूर ने 22 अगस्त 2010 को केरल के पलक्कड़ में अपनी दोस्त सुनंदा पुष्कर के साथ शादी की थी. शादी के बाद दोनों की जिंदगी बहुत ही अच्छी से चल रही थी लेकिन दोनों की बीच विवाद की खबरें तब सुनने को मिली जब सुनंदा पुष्कर की मौत से एक दिन पहले शशि थरूर के ट्विटर पर एक महिला दोस्त का नाम सामने आया. उस महिला दोस्त का नाम है मेहर तरार. फिलहाल पुलिस इसकी जांच कर रही है.
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आइए कुछ ऐसी ही कहानियों पर नजर डालते हैं.
चांद और फिजा की प्रेम कहानी: (चंद्रमोहन हरियाणा के प्रसिद्ध पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं जबकि अनुराधा बाली हरियाणा सरकार में डिप्टी एडवोकेट जनरल थीं)
इस प्रेम कहानी में प्यार है, धोखा है, दुनिया की दुहाई है, दर्द है और आखिर में मौत भी है. इस प्रेम कहानी में वह सब मसाले हैं जो एक हिट फिल्म में होने चाहिए लेकिन यह कहानी फिल्मी पर्दे की नहीं बल्कि असल जिंदगी की है. “चांद” ने उप मुख्यमंत्री का पद, बीबी-बच्चे, भजनलाल की इज्जत और धन-दौलत सब कुछ दांव पर लगाकर अपनी “फिजा” को अपनाया. इस काम के लिए उन्होंने अपना धर्म तक बदल डाला. लेकिन प्यार की आग जिस तेजी से जली थी जिस्म की ठंडक ने उसी तेजी से उसे ठंडा कर दिया. चांद मोहम्मद फिर चंद्रमोहन बन गए और रह गईं पीछे फिजा. यह समाज बहुत कठोर है. यह पुरुष के चाल-चलन पर तो कोई अंगुली नहीं उठाता लेकिन अगर किसी महिला का चरित्र कहीं से भी ढीला हुआ तो बवाल बहुत मचता है. इस कहानी में भी यही देखने को मिला. इस हाई वोल्टेज मामले में आखिरकार फिजा को प्यार तो नसीब नहीं हुआ लेकिन बदले में मौत जरूर मिली.
अनुराधा बाली उर्फ फिजा की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. उनका शव उनके मोहाली वाले घर से बरामद हुआ. 06 अगस्त, 2012 की सुबह जब अनुराधा बाली के चाचा ने उनका दरवाजा खटखटाया तो अनुराधा ने दरवाजा नहीं खोला. तब उन्होंने पुलिस बुलवाई. पुलिस ने दरवाजा खोला तो अंदर बदबू फैली हुई थी. वहां गली-सड़ी हालत में उनका शव मिला.
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सियासत के भंवर में भंवरी:
2012 में “भंवरी देवी” का केस आया था जिसने राजस्थान की सियासत में भूचाल खड़ा कर दिया. अतिमहत्वाकांक्षी नर्स भंवरी देवी ने जीवन में सफलता पाने के लिए कई नेताओं से अवैध शारीरिक संबंध बनाए पर अपनी महत्वाकांक्षाओं के पूरा ना होने पर उसने उन नेताओं को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और अंजाम सभी को पता है. जिस दर्दनाक तरीके से भंवरी देवी को मौत के घाट उतारा गया वह दिल दहला देने वाला था. इस केस में राजस्थान के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा एवं विधायक मलखान सिंह विश्नोई शामिल रहे थे.
गीतिका शर्मा और गोपाल कांडा
एमएलडीआर एयरलाइंस के मालिक और हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा और एयरहोस्टेस गीतिका शर्मा का केस भी सुर्खियों में रहा. नौकरी देकर गोपाल ने गीतिका का भरपूर शारीरिक शोषण किया और जब गीतिका से यह सब सहन नहीं हुआ तो उसने अपने कमरे के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. गोपाल कांडा को गिरफ्तार किया गया.
इस बीच खबर यह भी आई कि गीतिका के सुसाइड के ठीक 6 महीने बाद ठीक उसी घर में उसी कमरे में उसी पंखे पर गीतिका की मां झूल रही थी. कहा जाता है कि इस मौत के पीछे भी गोपाल कांडा का ही हाथ है.
अमरमणि के जाल में मधुमिता
2003 में भारतीय राजनीति में उस समय तूफान आ गया था जब कवियित्री मधुमिता की हत्या के आरोप में तत्कालीन सरकार के मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का नाम सामने आया. खुलासा हुआ कि मधुमिता गर्भवती थी और उसके संबंध अमरमणि त्रिपाठी से थे. मधुमिता अमरमणि त्रिपाठी से संबंधों के कारण गर्भवती हो गई थी. लेकिन अमरमणि नहीं चाहते थे कि वह मां बने. मधुमिता अपनी जिद पर अड़ी थी और अंत में उसे रास्ते से हटाने के लिए गोली मार दी गई.
ताजा मामला केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत का है. अभी पुलिस अधिकारी जांच कर रहे है इसलिए निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. लेकिन यही मामला भी कहीं न कहीं सियासती मकड़जाल में सिसकती बेबस सुंदरियों से जुड़ा हुआ है.
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