बचपन में एक कहानी सबने सुनी होगी – एक व्यक्ति गांव वालों को सताने के लिए ‘शेर आया’ ‘शेर आया’ बार-बार कहकर जंगल में ले जाता था. दरअसल वह व्यक्ति झूठ बोलता था, जब इस बात की भनक गांव वालों को लगी तब उन्होंने निश्चय किया कि वे आगे से कभी भी उसके बुलावे पर नहीं जाएंगे. एक दिन जंगल में असली का शेर आया, वह व्यक्ति गांव वालों को बुलाता रह गया किंतु किसी ने उसकी बात नहीं सुनी. आखिरकार उसे शेर का शिकार होना पड़ा. यह छोटी सी कहानी गांव वालों के विश्वास पर टिकी हुई थी जिसे उस व्यक्ति ने प्राप्त नहीं किया था.
कुछ इसी तरह की स्थिति वर्तमान में आम आदमी पार्टी की सदस्यता से निष्कासित हो चुके पार्षद से विधायक बने विनोद कुमार बिन्नी की बन चुकी है. जब से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से “आप” को “बिन्नी बम” समय-समय पर अरविंद और उनकी सरकार को डराता रहा है. आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि यह बम विरोधी पार्टियों की तरफ से आया है जिसे सरकार में खलल डालने के लिए भेजा गया है.
आपको बताते चलें किविनोद कुमार बिन्नी वह व्यक्ति हैं जिसकी चर्चा अरविंद केजरीवाल चुनाव से पहले प्रत्येक मीडिया मंच और चुनावी सभाओं में किया कर करते थे. विनोद कुमार बिन्नी लक्ष्मी नगर के विधायक बनने से पहले पूर्वी दिल्ली के वार्ड नंबर 214, खिचड़ीपुर से दो बार पार्षद रहे हैं. बिन्नी ने 2007 में पहली बार खिचड़ीपुर से बतौर निर्दलीय पार्षद का चुनाव लड़ा और जीता. जीतने के कुछ समय बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए. अगली बार जब फिर से चुनाव का समय आया तो बिन्नी ने पार्टी से पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा. लेकिन कांग्रेस ने किसी और को टिकट दे दिया. बिन्नी ने कांग्रेस छोड़ दी और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे. इस बार वे पहले से भी ज्यादा वोटों से जीते. अन्ना आंदोलन के दौरान वे पार्टी से जुड़े और पार्टी बनने के बाद केजरीवाल के साथ आ गए.
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जब बिन्नी निर्दलीय पार्षद थे तब “आप” द्वारा उनके कामकाज की काफी सराहना की जाती थी लेकिन आज वह पार्टी के सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं. कांग्रेस के समर्थन के साथ “आप” ने अपने 28 विधायकों को लेकर एक महीना पहले सरकार बनाई लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही बिन्नी पार्टी के लिए बागी करार दिए गए.
सबसे पहले उन्होंने दिल्ली सरकार में मंत्री पद ना मिलने की वजह से अपने ही नेताओं के खिलाफ बगावत छेड़ दी थी. हालांकि पार्टी ने उस वक्त उन्हें मना लिया था, लेकिन उनकी यह नाराजगी यहीं खत्म नहीं हुई. आगे चलकर उन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें यह कहकर निकाल दिया कि उन्होंने पार्टी के नियम को तोड़ा है. इस बीच खबर यह भी आने लगी कि बिन्नी के विरोधी तेवर को देखते हुए भाजपा इसका फायदा उठा रही है.
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उधर “आप” के खिलाफ मोर्चा खोलने को लेकर पार्टी से बाहर निकाले गए विधायक विनोद कुमार बिन्नी अपनी मांगों के साथ अनशन पर बैठ गए, लेकिन सिर्फ तीन घंटे के बाद ही बिन्नी को पता चल गया कि अनशन पर बैठने वाला हर व्यक्ति अन्ना हजारे नहीं होता. उन्होंने अनशन तोड़ते हुए कहा कि उन्होंने केजरीवाल को 10 दिन की मोहलत दी है. बिन्नी का खेल यहीं खत्म नहीं हुआ. उन्होंने दिल्ली सरकार को समर्थन दे रहे दो विधायकों रामबीर शौकीन और शोएब इकबाल को पार्टी के खिलाफ लामबंद किया, लेकिन उनका यह तरीका अगले ही दिन फुस साबित हुआ जब दोनों विधायकों ने मीडिया के सामने आम आदमी पार्टी को दोबारा समर्थन देने की बात कह दी.
अब एक बार फिर बिन्नी मीडिया के सामने हैं. एक महीने तक केजरीवाल सरकार में उत्पात मचाने के बाद आखिरकार बिन्नी ने फैसला किया है कि वह सरकार से अपना समर्थन वापस लेंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को किसी भ्रष्ट व्यक्ति से ‘अधिक खतरनाक’ करार देते हुए आज दिल्ली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. अब देखने वाली बात यह है कि उनका यह बम (बिन्नी बम) मीडिया में कितने दिनों तक असर दिखा पाता है.
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