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हाई स्कूल पास करते-करते लग गए 93 साल…आंखों से छलकी खुशी

अंग्रेजी में एक कहावत है, ‘बेटर लेट देन नेवर’. एक 93 साल की दादी, जेन पिकेट पर यह कहावत पूरी तरह सटीक बैठती है. उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद अब वे शान से किसी को अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में बता सकती हैं. साधारणत: विश्व के अधिकतर देशों में 15 साल की उम्र में बच्चा हाई स्कूल का डिप्लोमा पा लेता है, पर जेन को इसे पाने में 93 साल लग गए. उन्हें स्कूल छोड़ने के 75 साल बाद अब जाकर हाई स्कूल का डिप्लोमा प्राप्त हुआ है.


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वर्जिनिया निवासी जेन पैकेट को सन 1939 में न्यूयॉर्क हाई स्कूल से डिपलोमा मिलना था पर जिस दिन उनका दीक्षांत समारोह था उसी दिन उनके जीवन का एक और महत्वपूर्ण समारोह निर्धारित था और वह था उनका विवाह. जेन ने स्वभाविक रूप से दूसरा समारोह चुना जिस कारण वे अपने हाई स्कूल का डिप्लोमा लेने न हीं पहूंच पाईं. इसके बाद जेन कभी अपना डिप्लोमा लेने नहीं जा सकीं.


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जेन की बेटी शरोन मिल्स ने 93वें जन्मदिन पर उपहार स्वरूप उनके हाई स्कूल का डिप्लोमा दिलाने का निश्चय किया और उनके स्कूल से संपर्क करके उनके पास उनका डिप्लोमा भिजवाने की व्यवस्था करवाई. जेन जिस हफ्ते 93 साल की हुईं उसी हफ्ते उनका डिप्लोमा उनके पास पहुंचा.



शरोन मिल्स बताती हैं कि इस अवसर पर सभी पड़ोसी उनके घर पहुंचे, पर उनकी मां को कुछ खबर नहीं थी कि क्या होने वाला है. उनकी मां के चचेरे भाई-बहन, नाती-पोते सब घर आए हुए थे पर उन्हें कुछ पता नहीं था कि हम क्या करने वाले हैं.

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घर गृहस्थी में अपनी जिंदगी बिता चुकीं 93 साल की जेन के लिए उम्र के इस पड़ाव पर यह सर्टिफिकेट कहने को महज इक कागज के टूकड़े से ज्यादी कुछ नहीं है, पर तस्वीरें देखकर यह साफ पता चलता है कि उनके लिए यह कागज का टूकड़ा कितना महत्व रखता है. अपनी बेटी और नाती-पोतों के आगे डिप्लोमा ग्रहण करते हुए यह दादी मां बेहद भावुक दिख रहीं हैं. उनके चेहरे पर औपचारिक रूप से हाई स्कूल ग्रेजुएट होने का गर्व साफ देखा जा सकता है.


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अपने किशोरावस्था के दिनों को याद करते हुए जेन खुद पर हंसते हुए कहती हैं कि तब उनकी लिखाई ‘अपठनीय’ और वर्तनी ‘मौलिक’ हुआ करती थी.

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