हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली का त्यौहार हम सब के लिए खुशियों और रोशनी का संदेश लेकर आने वाला है. इस वर्ष दीपों का यह त्यौहार कार्तिक अमावस्या के मौके पर 23 अक्टूबर को पड़ रहा है.
दीपावली जैसा की हम सब जानते हैं कि यह दीपों का त्यौहार है. इस दिन दियों की रोशनी अमावस्या की काली अंधेरी रात को जगमगाने पर विवश कर देती है. यह त्यौहार हमें यह सीख देता है कि अगर प्रकृति हमारी जिंदगी में अंधेरा भी कर दे तो हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और अपनी मेहनत से अंधेरे को उजाले में बदलने का हौसला रखना चाहिए ठीक उसी तरह जैसे अमावस्या की काली रात को दीप जलाकर रोशनी की जाती है. यह त्यौहार सत्य की असत्य पर विजय का भी प्रतीक है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष विधान है. मान्यता है इस दिन पूजा करने से मानव पर वर्ष भर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी की कृपा रहती है.
शुभ मुहूर्त
यूं तो दीपावली के दिन पूजा संध्या के समय ही की जाती है लेकिन इसका भी एक मुहूर्त होता है जिसमें पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है.
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 19:30 से 20:37
अवधि: 01 घंटा 07 मिनट
प्रदोष काल: 18:06 से 20:37
वृषभ काल: 19:30 से 21:29
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 02:34, 23/अक्टूबर/2014
अमावस्या तिथि समाप्त: 03:26, 24/अक्टूबर/2014
पूजन विधि
इस दिन सुबह-सुबह जल्दी उठकर नहा लेना चाहिए और आलस्य का त्याग करना चाहिए. कहा जाता है कि लक्ष्मी वहीं वास करती हैं जहां सफाई और स्फूर्ति हो. लक्ष्मी आलस्य करने वालों का साथ नहीं देती. लक्ष्मी जी के स्वागत की तैयारी में घर की सफाई करके दीवार को चूने अथवा गेरू से पोतकर लक्ष्मीजी का चित्र बनाएं. आप चाहे तो लक्ष्मी जी की तस्वीर भी लगा सकते हैं. अमूमन लक्ष्मी जी के साथ इस दिन गणेश जी और सरस्वती जी की पूजा की जाती है इसलिए अगर एक ही फोटो में तीनों देवता हों तो अच्छा रहेगा.
लक्ष्मी जी के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर मौली बाँधें. अब चौकी पर छः चौमुखे व 26 छोटे दीपक रखें. इनमें तेल-बत्ती डालकर जलाएं. फिर जल, मौली, चावल, फल, गुढ़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें. पूजा पहले पुरुष तथा बाद में स्त्रियां करें. पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें.
एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर निम्न मंत्र से लक्ष्मीजी का पूजन करें:
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया.
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥
इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करें:
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च.
भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः॥
इस पूजन के पश्चात तिजोरी में गणेशजी तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें. इसके बाद मां लक्ष्मी जी की आरती सपरिवार गाएं. पूजा के बाद खील बताशों का प्रसाद सभी को बांटें.
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