अपने कर्मचारियों को दिवाली के मौके पर उपहार के रूप में फ्लैट, कारें और ज्वैलरी देने वाली सूरत की मशहूर हीरा कंपनी हरेकृष्ण एक्सपोर्ट्स आज पुरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुकी है. जिस पूंजीवादी युग में जहां कर्मचारियों से कई-कई घंटे काम कराए जा रहे हो और सैलरी के नाम पर मामूली रकम दी जा रही हो वहां इस कंपनी ने अपने 1200 कर्मचारियों की लिस्ट बनाई जिसमें से 491 लोगों को कारें, 525 को गहने और 200 कर्मचारियों को घर दिवाली बोनस के रूप में दिए.
एक तरफ जहां यह कंपनी पूरी दुनिया के लिए खबर बनी हुई है वहीं दूसरी तरफ कंपनी के मालिक सावजीभाई ढोलकिया आज के दिन हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहे हैं. हर कोई उनके बारे में जानना और पढ़ना चाहता है.
सावजीभाई ढोलकिया का जीवन
बेहद ही साधारण जीवन जिने वाले सावजीभाई ढोलकिया का जन्म अमरेली जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था. यह जानकार आपको हैरानी होगी कि आज की तारीख में करोडों रुपए छापने वाले सबके चहिते सावजीभाई चौथी तक पढ़े हैं. पढ़ने में मन न लगने की वजह से 13 वर्ष की उम्र में ही सूरत भाग गए और एक छोटी से फैक्ट्री में काम करने लगे.
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ढोलकिया की सफलता
ढोलकिया की माने तो सूरत की फैक्ट्री में वह 179 रुपये प्रति माह पर नौकरी करते थे जिसमें खाने-पीने में 140 रुपए खर्च करने के बाद 39 रुपये बचा करते थे. वह फैक्ट्री में हीरा घिसने का काम करते थे. सावजीभाई ढोलकिया शुरू से ही मेहनती थे उन्होंने न केवल हीरा घिसने का काम सिखा बल्कि जल्द ही अपने दोस्तों से भी ज्यादा सैलरी उठाने लगे.
सावजीभाई ढोलकिया ने करीब 10 साल तक हीरा घिसने का काम किया. अनुभव मिल जाने के बाद उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर एक कंपनी खोली. ढोलकिया की इसी कंपनी का कारोबार 1991 में मात्र एक करोड़ का था जो आज 6 हजार करोड़ तक पहुंच गया.
एक माहादानी
दिवाली बोनस के रूप में इस साल 50 करोड़ रुपए खर्च करने वाले सावजीभाई पहले भी इस तरह के उपहार दे चुके हैं. 18 साल पहले जब मारूती 800 की कीमत 50 हजार थी तब सावजीभाई ने तीन गाड़ी अपने कर्मचारियों को उपहार के रूप में दिए. यही नहीं, एक चैनल पर साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अगर उनकी कंपनी ऐसे ही मुनाफा कमाती रही तो वे अपने कर्मचारियों को मर्सडीज भी भेंट कर सकते हैं.
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कर्मचारियों के लिए फरीसता
सावजीभाई ढोलकिया सेवा करने में विश्वास करते हैं. उनकी कंपनी न केवल कर्मचारियों को शानदार बोनस देती है बल्कि अच्छी सैलरी, जीवन बीमा के साथ उनके स्वास्थ्य की भी चिंता करती है. कंपनी अपने कर्मचारियों को तंबाकू और गुटका तक खाने नहीं देती साथ ही उनके परिवारवालों की भी देखभाल करती है. ढोलकिया खुद मानते मानते हैं कि उनकी कंपनी हीरा बनाने की नहीं बल्कि मानव बनाने की है.
ओबेरॉय होटल में प्रवेश नहीं
एक चैनल पर साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि 25 साल पहले जब वह मुंबई आए तो उन्हें ओबेरॉय होटल में प्रवेश नहीं मिला था. फिर उसी होटल के सामने समुद्र के किनारे उन्होंने फैसला किया कि एक दिन वह ऐसा काम करके दिखाएंगे कि जिसके बाद यही होटल उन्हें सम्मानपूर्वक बुलाएगा.
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