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चुलबुल पांडे नहीं, शिवदीप लांडे हैं असल जिंदगी के दबंग

अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना जाता है कि पुलिस घटना-स्थल पर देर से पहुँचती है, रसूखदार अपराधियों को छोड़ देती है या गुनहगारों से पैसा वसूल उन्हें जाने देती है. क्या आप भी ऐसा सोचते हैं? अगर हाँ, तो इस पुलिस अधिकारी के बारे में  पढ़कर आप अपने विचार बदलने को मजबूर हो जाएँगे. ये न रसूख वाले नेता की सुनता है और न अपराधियों की. इसके सामने सारे बहाने बेकार है. उसके लिए अपराध का मतलब सिर्फ अपराध होता है. वो अपराधी को पलक झपकते ही दबोच कर सजा दिलवाने की कोशिश करवाता है. उसके लिए कानून धर्म है और कानून की रक्षा श्रेष्ठ कर्तव्य.



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पटना की बेजान सड़कें उस पुलिस अधिकारी के कदमों की आहट सुन फिर से जीवित हो उठी जब पुलिस अधीक्षक के पद की जिम्मेदारी शिवदीप लांडे को दी गई. अपराधियों की शामत लाने वाला यह वर्दीधारी पटना के लिए नया नहीं है. बच्चे-बच्चे उसके नाम से वाकिफ है. पटना समेत बिहार के अन्य जिलों में रहते हुए उसके कारनामे बड़े मशहूर हुए. वहाँ तकरीबन दस महीने की सेवा में ही उन्होंने नकली कॉस्मेटिक उत्पाद विक्रेताओं सहित बड़े-बड़े दवा-माफियाओं के कारनामे उजागर किए.


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पढ़िए, उनके ऐसे ही कुछ मशहूर कारनामे….

पटना में लड़की को बचाया-



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एक बार शहर में एक राह चलती युवती को तीन शराबी परेशान करने लगे. युवती ने बचाव के लिए शिवदीप को फोन लगाया. चंद मिनटों में यह अधिकारी खुद वहाँ पहुँच गया. लड़की को तो बचा लिया गया लेकिन बदमाश भाग निकले. कुछ ही दिनों में उसने बदमाशों को भी धर-दबोचा.


किशनगंज में हेल्मेट की बिक्री बढ़ाई-

किशनगंज जिले का अतिरिक्त प्रभार मिलने पर वहाँ पहुँचे शिवदीप ने हेल्मेट की बिक्री बढ़ा दी. हुआ यों, कि वो मुख्य बाज़ार के चौराहे पर खड़े हो वहाँ से बिना हेल्मेट वाले वाहन चालकों को पकड़ने लगे. जिनके पास हेल्मेट नहीं थे, उनसे वहीं सबके सामने कान पकड़ कर ऊठक-बैठक करवाया गया. शिवदीप लांडे के कड़े तेवरों के कारण ही वहाँ हेल्मेट की खूब खरीद-बिक्री हुई. अब उस छोटे जिले किशनगंज के वाहन चालक बिना हेल्मेट के गाड़ी नहीं चलाते.


मिनटों में घटना-स्थल पर ही हत्यारे को पकड़ा

उन्होंने पटना में एक बड़े कॉस्मेटिक उत्पादों की दुकान से बेचे जाने के लिए रखे नकली सामानों को पकड़ा. कहा जाता है कि इस भंडाफोड़ के बाद राजनीतिक दबाव के कारण उनका स्थानांतरण अररिया जिले में कर दिया गया. अररिया नेपाल की सीमा से सटा जिला है जो तस्करों के लिए महफूज़ समझा जाता है. लेकिन, वहाँ भी उन्होंने कानून के क्रियान्वयन को महत्तवपूर्ण समझा.



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एक बार अररिया के एक गाँव में हत्या हो गई. खुद घटना स्थल पर पहुँचे लांडे सुरागों का पीछा करते-करते हत्यारे के घर तक पहुँच गए जो वहीं कुछ दूर रहता था. बात ही बात में उन्होंने उससे सच उगलवा कर मामला सुलझा लिया. इसके अलावा कई दिनों से पुलिस के लिए सिरदर्द बनी बैंक डकैती कांड के अपराधियों का पता लगा उन्होंने अपनी कार्यकुशलता से लोगों का मन मोह लिया.


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पटना और अररिया से लांडे के स्थानांतरण-आदेश की जानकारी  के बाद लोग सड़कों पर उतर आए थे जो अपने जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में केवल लांडे को ही देखना चाहते थे. हालांकि, पटना में उनकी वापसी को जनता आगामी चुनाव से जोड़ कर देख रही है लेकिन सच यही है-

कर्तव्यनिष्ठ सर्वत्र पूज्यते




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