कहा जाता है कि “जहाँ चाह वहाँ राह.” इंसानों ने अपने इरादे से कई बार असंभव काम को भी संभव कर दिखाया है. योग्यता कभी भी साधन का मोहताज नहीं होता है. ऐसे ही कथन को सही साबित किया है एक जरूरतमंद और निर्धन नौजवान ने. कभी दर-दर की ठोकरे खाने वाला बच्चा आज अपनी मेहनत और लगन से लाखों कमा रहा है.
इस लड़के का बचपन रेड लाईट पर फूल बेचकर गुजरा है. दूसरों को गुलदस्ता देने वाले इस बच्चे के जीवन में काटें ही काटें थे. आखों में सपनें और हाथों में फूल लिए यह होनहार बच्चा हर आते-जाते मुसाफिरों को चंद पैसों की खातिर बेबस नजरों से देखता. दिन, महीने, साल गुजरते गए और यह होनहार अब रेड लाईट को छोड़कर घर-घर अखबार बेचने लगा. इस लड़के का नाम शिवकुमार है.
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एक सुबह ऐसा आया जब किसी कदरदान की नजर इस प्रतिभावान लड़के पर गई और उसने पढ़ाई-लिखाई में मदद करने का वादा किया. अब इस प्रतिभावान छात्र को अपने सपने को सकार करने के लिए एक सहारा मिल गया था. उसने काम के साथ पढ़ाई को भी बहुत ही ईमानदारी से किया.
उसने अपने लगन और मेहनत से 2012 में कैट की परीक्षा पास की. आईआईएम कोलकाता ने इसकी फीस माफ कर दी. अब क्या था मेहनत और लगन की जीत हुई. जिसकी बदौलत उसे जर्मन रॉकेट इंटरनेट में नौकरी मिली. इस होनहार ने अपनी मेहनत और लगन से जीवन के अंधकार को हमेशा-हमेशा के लिए दूर कर दिया.
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इस सफलता पर इस छात्र का कहना है कि ‘इससे ज्यादा मैं और क्या मांगता. यह कंपनी नई है और ये ई-कॉमर्स से जुड़ी है जो इस वक्त सबसे ज्यादा फल-फूल रहा है. कंपनी में मुझे बड़ी जिम्मेदारी मिली है.’
रेड लाईट पर फूल बेचनेवाला, घर-घर अखबार फेककर अपना रोजी-रोटी कमाने वाला शिवकुमार अब एक जर्मन कंपनी का कर्मचारी है. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक शिवकुमार को एक जर्मन कंपनी ने भारत में डिप्टी कंट्री मैनेजर के तौर पर नियुक्त किया है. कभी चंद सिक्कों के लिए दिन-रात मेहनत करने वाला शिवकुमार अब करोड़ों रुपए कमाता है. Next…
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