झूठे टशन के लिए इंसान क्या नहीं करता है. अभी हाल ही की घटना है एक शक्स ने नीली बत्ती लगाकर फर्जी आईएएस बन बैठा. यह पूरी चतुराई फर्जी आईएएस ने इसलिए किया क्योंकि उनके साले साहब इंटर की परीक्षा दे रहे है और उन्हें परीक्षा कक्ष में ‘वीआईपी सुविधाएं’ मिल सके. यह पूरा वाक्या उत्तर प्रदेश के हाथरस का है. अपने साले को वीआईपी की सुविधा और परीक्षा कक्ष में नकल कराने ने लिए आईएएस हाथरस आया पर अधिकारियों के हत्थे चढ़ गया. डीएम और एसपी की सूझ-बूझ से फर्जी आईएएस को रंगे-हाथों पकड़ा गया, लेकिन पकड़े जाने से पहले का पूरा प्रसंग बिलकुल फिल्मी जैसा लगता है.
यह पूरा वाक्या इस तरह से शुरू हुआ जब स्थानीय एसपी दीपिका तिवारी के पास एक फोन आया. फोन पर वह खुद को 2005 बैच का आईएएस रूपेश कुमार बता रहा था. फोन पर उसने एसपी दीपिका तिवारी से कहा की वह आगरा से हाथरस जिला आ रहा है इसलिए उसे पुलिस सुरक्षा चाहिए. एसपी दीपिका तिवारी को इस फर्जी आईएएस रूपेश कुमार पर तब ज्यादा शक होने लगा जब उसका कॉल कई बार आया और खुद के लिए प्रोटेक्शन की माँग कर रहा था.
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यह बात एसपी दीपिका तिवारी ने वहाँ के डीएम को बताया. यह सुनते ही डीएम का माथा ठनका, क्योंकि वह खुद वर्ष 2005 बैच का आईएएस हैं. प्रशासन सतर्क हो गई और उस फरेवी आईएएस को धर दबोचने के लिए जाल बिछाया गया. एसडीएम सादाबाद और सीओ सादाबाद को इस तरह से भेजा गया कि जैसे उसकी आईएएस के रूप में अगवानी की जा रही हो. खुद को आईएएस बताने वाला यह शख्स नीली बत्ती लगी स्विफ्ट गाड़ी में बैठा था. आगरा रोड सीमा पर एसडीएम और सीओ पहुंच गए. यह लोग उसे अपने साथ थाना चंदपा ले आए.
थाना पहुँचते ही फिर्जी आईएएस भौचक्का रह गया. वहाँ पहले से ही डीएम और एसपी मौजूद थे. पूछताछ में उसकी हरकत का खुलासा हुआ. वास्तव में वह अपना रुतबा बनाकर अपने साले को नकल कराने के लिए आया था. फर्जी युवक का असली नाम अनूप दुबे हैं जो गाजियाबाद का निवासी है. वह मूल रूप से इटावा के गांव किलोखर का रहने वाला है.
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उसने दिल्ली के अपने दोस्त से कार मंगवाई और नीली बत्ती लगाकर अपने सास से लिया गया वादा को निभाने चल पड़ा. अनूप दुबे ने अपनी सास से यह वादा किया था कि अपने रौब के बूते साले हिमांशु की परीक्षा में राह आसान कर देगा. पर अधिकारियों के नजर से यह फर्जी युवक भाग नहीं पाया.Next…
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