एक सरकारी स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ने वाले सिद्देश के स्कूल की हेडमास्टर गायत्री देवी एमसी का कहाना है कि वह एक औसत स्टूडेंट है पर पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में आगे रहता है. हालांकि इस चौथी क्लास के औसत छात्र की समझदारी ने सैकड़ों जिंदगियों को असमय काल का ग्रास बनने से बचा लिया.
सिद्देश नित्य कर्म के लिए रेलवे ट्रैक के पास गया था. उसे लगा कि ट्रेन आने पर कुछ अलग सी आवाज हो रही है . जब उसने पास जाकर देखा तो पाया कि रेलवे ट्रेक एक जगह से टूट गई है. सिद्देश ने बताया कि, “मैंने टूटी हुई रेल लाइन देखी और परेशान हो गया। मैं जल्दी से अपने पिता जी को बताने के लिए दौड़ा.” सिद्देश के पिता मंजुनाथ रेल लाइन से थोड़ी दूरी पर एक छोटा सा होटेल चलाते हैं.
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मंजुनाथ ने पहले तो बच्चे की बात को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन नन्हा सिद्देश उन्हें खींचकर रेलवे ट्रेक की ओर ले गया. वहां मंजुनाथ ने देखा की रेल लाइन तो सचमुच टूटी हुई है. वहां कुछ और लोग भी इकट्ठे हुए थे लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि इस बारे में क्या किया जाए. तब तक तो कुछ ट्रेनें वहांं से गुजर भी चुकी थीं. जल्द ही वहां से एक और ट्रेन गुजरने वाली थी. सिद्देश ने अपनी लाल टी शर्ट को झंडे की तरह दिखाकर ट्रेन रूकवा दी.
सिद्देश की मां अंसुयम्मा ने बताया, “हमारा बेटे ने अपनी लाल टी शर्ट एक डंडे में लपेट दी और उसे लहराने लगा. उस समय हुबली- चिद्रांगदा एक्सप्रेस वहां से होकर गुजरने वाली थी. “सिद्देश के पिता मंजुनाथ के अनुसार, ‘सिद्देश हर रोज ट्रेनों को आते-जाते सुनता है और उनकी आवाज से अच्छी तरह वाकिफ है.”
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रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि गर्मियों में अक्सर रेल लाइनें टेढ़ी-मेंढ़ी हो जाती हैं. कुछ यात्रियों ने सिद्देश की तारीफ की और जिला प्रशासन से उसकी बहादुरी के लिए अवॉर्ड दिलाने की अपील की. रेलवे स्टेशन मैनेजर ने कहा कि हम इस बच्चे के शुक्रगुजार हैं. हमारे इंजीनियर ने इसे इनाम के तौर पर 500 रुपये दिए हैं. हम उसे ब्रेवरी अवॉर्ड दिलाने की सिफारिश भी करेंगे.Next…
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