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अखबार बेचने वाले लड़के के इस कारनामे ने बनाया उसे अखबारों की सुर्खिया

बंगलुरू के कृष्णा वेद्यव्यास जब एक सुबह अखबार लेने के लिए घर से बाहर निकले तो उनके सामने अखबार देने वाला एक किशोर खड़ा था. उस किशोर ने कृष्णा से स्कूल की फीस के लिए 15,000 रूपए मांगे. कृष्णा को जब उस किशोर के अध्यापकों से मिलने के बाद पढ़ाई के प्रति उसकी लगन के बारे मे यकीन हो गया तो वह उसे यह रकम देने के लिए तैयार हो गए. इस किशोर का नाम है शिवकुमार एन जो आज सोशल मीडिया सहित कई अखबारों की सुर्खियां बन चुका है.

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शिवकुमार आईआईएम कोलकाता से एमबीए करने के बाद एक जर्मन मल्टीनेशनल कंपनी के श्रीलंका में डिप्टी कंट्री मनेजर के पद पर नियुक्त होने जा रहें हैं. आईआईएम से एमबीए करने से पहले शिवकुमार एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट भी हैं. शिवकुमार तब 8वीं क्लास में थे जब उन्होंने पहली बार कृष्णा से आर्थिक मदद मांगी थी. कृष्णा वेदव्यास ने आगे भी शिवकुमार के पढ़ाई पर होने वाले खर्च का भार उठाया. शिवकुमार कहते हैं, “मुझे लगा कि मैं इनसे मदद मांग सकता हूं और मैने ऐसा ही किया.”


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अपने परिवार की आमदनी में योगदान देने के लिए शिवकुमार न सिर्फ अखबार बेचते थे बल्कि उनके कई कामों में फूल बेचना और कारों की धुलाई करना भी शामिल था. उन्होंने एक कार के शोरूम में सेल्स रिप्रेजेंटिव के रूप में भी कार्य किया. पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने न सिर्फ अपनी क्लास में टॉप किया बल्कि अपने प्रोफेशनल जीवन में भी वे लगातार आगे बढ़ते रहे. घर-घर अखबार पहुंचाने वाले लड़के से आगे बढ़ते हुए वे एक स्वतंत्र विक्रेता बन गए जिनके पास करीब 500 नियमित ग्राहक थे.


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शिवकुमार बताते हैं कि, “उनके पिता को यह कभी पता नहीं चला कि मैं अखबार विक्रेता बन चुका हूं. उन्हें यही लगता था कि मैं दूसरे विक्रेता के लिए घर-घर अखबार पहुंचाने का काम करता हूं. इसकी वजह यह थी की मैं रोजना सुबह 4 बजे उठ जाया करता था.” स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद शिवकुमार ने बैंगलोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से इंजीनियरिंग की. अपनी शिक्षा का भार वहन करने वाले कृष्णा वेदव्यास के परामर्श से उन्होंने कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पास करके आईआईएम कोलकाता में दाखिला पाया जहां से उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. Next…


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