शिक्षा का गौरवपूर्ण अतीत समेटे एक भारतीय राज्य बिहार में बोर्ड परीक्षा की तस्वीरों को चर्चा में रहे अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. उस तस्वीर ने न केवल राज्य सरकार व जिला प्रशासन की पोल खोल कर रख दी बल्कि अभिभावकों के चरित्र को भी उजागर किया. एक ऐसी तस्वीर जिसके पीछे कुछ अभिभावकों की विवशता थी और परीक्षा दे रहे कई छात्रों के सगे-संबंधियों का स्वार्थ. लेकिन आज ईमानदारी और बेईमानी के बीच अवसर पाने और ना पाने को ही अंतर मान लिया गया है.
बिहार की उस तस्वीर पर लोगों ने बिना पूरे मामले पर शोध किये बिहारियों की डिग्री पर चुटकी लेना शुरू किया. लेकिन ये सिर्फ बिहार की तस्वीर नहीं थी. कमोवेश यही हाल देश के उन राज्यों का भी है जिनकी तस्वीरें मीडिया के दायरे में नहीं आ पायी. बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में परीक्षा की कॉपियों की जाँच में शिक्षक लगे हुए हैं. उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर में प्रश्नों के उत्तर जाँचते-जाँचते शिक्षकों के सामने उत्तर-पुस्तिकाओं में जो पढ़ने को मिल रहा है वो बिहार की तस्वीर से जुड़ी हमारी शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली एक और पहलू ही है.
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इन उत्तर-पुस्तिकाओं में विद्यार्थियों ने सौ रूपये का नोट लगा रखा है. कई छात्राओं ने अंक पाने के लिये पुस्तिका जाँचने वाले अज्ञात शिक्षक से अपने प्यार का इज़हार किया है. इसके लिये उन्होंने उन्हीं तीन शब्दों का इस्तेमाल किया है जिसे एक प्रेमी अपनी प्रेयसी से और एक प्रेयसी अपने प्रेमी से कहता है. परीक्षक को विश्वास में लेने का हथकंडा अपनाते हुए उन्होंने अपने फ़ोन नंबर तक साझा किये हैं. वहीं कुछ विद्यार्थियों ने प्रेम-पत्र लिखकर उसे उत्तर पुस्तिका के साथ जमा कर दिया है. कई विद्यार्थियों ने निवेदन पत्र भी लिख डाला है.
सच ही है मर्ज़ का पूरा उपचार न कर अगर लक्षणों का उपचार किया जाता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीय परीक्षा-प्रणाली इससे भी ज्यादा बड़ा भद्दा मज़ाक बन कर रह जायेगा!Next….
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