55 साल के चेस ग्रैंडमास्टर प्रवीण थिप्से अपने सामने खेल रहे 19 साल के खिलाड़ी के मूव देखकर हैरान थे. 19 साल के इंजीनियर ध्रुव कक्कड़ का खेल देखकर उन्हें ऐसा लगा कि दुनिया को दूसरा विश्वनाथन आनंद मिल गया है. हालांकि खेल के दौरान ध्रुव कक्कड़ के शारीरिक भाषा प्रवीण को संदिग्ध लगी. उनकी शिकायत पर जब प्रवीण की जांच हुई तो पता चला कि वह शतरंज का विश्वनाथन आनंद नहीं बल्कि मुन्नाभाई यानी नकलची है.
दिल्ली में हो रहे डॉ. हेडगेवार ओपेन चेस टूर्नामेंट में यह सनसनीखेज मामला सामने आया. टूर्नामेंट के पांचवें राउंड में प्रवीण थिप्से का मुकाबला ध्रुव के साथ था. ध्रुव कक्कड़ हरियाणा का खिलाड़ी है. तलाशी के दौरान ध्रुव के दोनों टांगों पर मोबाईल फोन चिपके मिले. इसके अलावा उसने कमर में बैटरी बांध रखी थी जबकि कान में माइक्रोफोन लगा रखा था. माइक्रोफोन इतना छोटा था कि उसे निकालने के लिए चुंबक का सहारा लेना पड़ा.
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मुंबई के चेस ग्रैंडमास्टर 55 साल के प्रवीण थिप्से ने कहा, ” ध्रुव शुरुआत से ही तेज खेल रहा था और उसके मूव मुझे हैरत में डाल रहे थे. ध्रुव के खेल से मुझे एक चाल चलने में 30 मिनट का वक्त लग जाता था.” 87 मूव में ध्रुव ने प्रवीण को हरा दिया लेकिन चोरी पकड़े जाने के बाद आयोजकों ने उन्हें फिर विजयी घोषित कर दिया.
ध्रुव के तेज खेल और बॉडी लैंग्वेज को देखकर प्रवीण को शक हुआ. ध्रुव किसी बड़े चेस प्लेयर की तरह ध्यान लगाकर एक टक एक ही स्थान पर देखता था. प्रवीण ने गौर किया कि वह हर चाल चलने से पहले अपने पैर पर बने टैटू को देखता है. प्रवीण को उसके टैटू पर संदेह हुआ. उनकी शिकायत पर कक्कड़ की बॉडी का स्कैन किया गया और जब उसके शरीर पर चिपके इन उपकरोणों को देखा गया तो वहां मौजूद हर शख्स दंग रह गया.
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ध्रुव को चाल सुझाता था. इसकी जानकारी वह उसके कानों में लगे माइक्रोफोन से देता था. जब थिप्से अपनी चाल चल लेते थे तो अपने पैरों की थाप के जरिए ध्रुव इसकी जानकारी हरियाणा में कंप्यूटर के सामने बैठे अपने दोस्त को दे देता था. अगर चाल गलत होती थी तो वह एक बार पैर बजाता, चाल सही होने पर वह दो बार पैर बजा कर संकेत देता. पूरे खेल के दौरान ध्रुव के फुट-टैपिंग यानी पैर बजाने से प्रवीण परेशान थे. Next…
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