पैसा कमाना ही काफी नहीं है, अगर आप पैसे वाले हैं तो पैसा दिखना चाहिए. कम से कम चंडीगढ़ जैसे शहर के रईसों का तो यही मानना है. अब जब सबके पास महंगी-महंगी गाड़ियां आ गई हैं तो हैसियत का पता गाड़ियां नहीं उनके नंबर प्लेट देने लगे हैं. चंडीगढ़ शहर में वीआईपी नंबर प्लेट लेने की सनक इस कदर सर चढ़कर बोल रही है कि एक बिजनेसमैन ने अपनी 50 हजार की स्कूटर के खातिर वीआईपी नंबर लेने के लिए 8.1 लाख खर्च कर दिए.
नंबर के लिए सबसे ऊंची बोली लगाकर इसे हासिल किया. गौरतलब है कि वीआईपी नंबर ‘0001’ की मांग जबर्दस्त थी. हाल के सालों में इस नंबर को हासिल करने के लिए लोगों ने 70 हजार से 10 लाख के बीच खर्च किए.
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वालिया का कहना है कि उन्हें यह शौक विरासत में मिला है, ‘मेरे पिता के पास भी दो-दो वीवीआईपी नंबर थे. मेरे पिता चंडीगढ़ टैक्सी यूनियन के फाउंडिंग प्रेसिडेंट थे.’ वालिया ने अपने बेटे की बाइक के लिए भी वीआईपी नंबर लिया था. यह नंबर था CH01BC 0011 जिसके खातिर वालिया ने 2.6 लाख रुपये खर्च किए थे. इन्होंने अपनी एसयूवी के लिए भी वीवीआईपी नंबर CH01BC 0026 को बड़ी रकम खर्च कर हासिल किया था. इनके पास अन्य दो एसयूवी हैं और इनके नंबर भी वीवीआईपी हैं. लेकिन यह पहली बार है जब इन्होंने अपनी स्कूटर के लिए इतनी बड़ी रकम चुकाई.
चंडीगढ़ में फैंसी नंबर हासिल करने की लोगों की सनक का फायदा लाइसेंसिंग अथॉरिटी को मिलता है. अथॉरिटी को दो दिन में 77.71 लाख रुपये की कमाई हुई है. चंडीगढ़ में रजिस्ट्रेशन ऐेंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी की कशिश मित्तल ने बताया, ‘इस शहर में फैंसी नंबर हासिल करना लोगों का शौक है. हमलोग इस शौक का इस्तेमाल राजस्व हासिल करने में करते हैं.’
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CH01BC सीरीज में 0001 से 9999 नंबर की नीलामी दो फेज में शनिवार और रविवार को की गई. पिछले साल ही अथॉरिटी ने रिकॉर्ड कमाई की थी. अथॉरिटी ने तब CH-01-AX सीरीज के नंबर की नीलामी करके दो दिनों में 98.7 लाख का राजस्व हासिल किया था. वीवीआईपी नंबर के लिए सबसे ज्यादा कीमत किसान से बिल्डर बने एन. एस. शेरगिल ने 2010 में चुकाई थी. Next…
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