जिंदगी में कभी न कभी आप भी किसी कंपनी के या किसी नामचीन व्यक्ति द्वारा ठगी के शिकार हुए होंगे. लेकिन अकसर उनमें से कई परेशानी और अतिरिक्त खर्चे से डरकर कोई कानूनी कार्यवाही करने में हिचक जाते हैं. अब राजेश सकरे से मिलिए. ये एक चाय बेचने वाला, पांचवीं तक पढ़ा आम हिंदुस्तानी है. जिसके पास वकील को देने के लिए पैसे तो नहीं थे लेकिन उनकी हिम्मत और न्याय के लिए लड़ने की उनके हौसले ने देश के सबसे बड़े बैंक को उनके आगे झुकने के लिए मजबूर कर दिया.
भारतीय स्टेट बैंक ने राजेश सकरे के खाते से उनके बिना जानकारी के 9,200 रुपए काट लिए. सकरे ने बैंक में इसकी शिकायत की लेकिन बैंक ने इस संबंध में कोई भी कार्यवाई करने से इंकार कर दिया. सकरे के अनुसार 23 दिसंबर 2011 को उनके अकाउंट में 20,000 रुपए थे जिसमें से उन्होंने 10,800 रुपए निकाले, लेकिन दो दिन बाद वे जब फिर से कैश निकालने पहुंचे तो यह जानकर चौंक गए कि उनका अकाउंट बैलेंस शून्य हो चुका है.
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इसकी शिकायत जब राजेश ने बैंक से की तो उल्टा उन्हें ही लापरवाही के लिए दोषी ठहराया गया. एसबीआई के हमिदिया रोड ब्रांच ने इस संबंध में कोई भी कार्यवाई करने से मना कर दिया.
इस संबंध में भोपाल निवासी राजेश सकरे ने एसबीआई के मुंबई हेडक्वार्टर में शिकायत पत्र लिखा. जब वहां से उनके पत्र का कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने आखिरकार जिला उपभोक्ता फोरम मे शिकायत दर्ज करवाया.
उपभोक्ता अदालत ने सकरे की शिकायत सुनी. बैंक लगातार यह कहता रहा कि सकरे ने यह रकम खुद ही निकाली है लेकिन वह इसका कोई सबूत पेश नहीं कर पाया. सकरे भी अपनी बात पर डटे रहे. अदालत द्वारा मांगे जाने पर बैंक सीसीटीवी फुटेज भी नहीं पेश कर पाया.
पांचवीं तक पढ़े सकरे के लिए यह लड़ाई कतई आसान नहीं रही. उन्हें दर्जनों बार कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा पर उन्होंने हार नहीं मानी. उनके पास वकील के लिए पैसे नहीं थे, उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने अपनी बात खुद ही रखी. आखिरकार इस आम आदमी ने न्याय के प्रांगण में देश के सबसे बड़े बैंक को झूठा साबित कर दिया.
कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया है कि वह दो महीने के भीतर सकरे को उनके 9,200 रुपए 6% ब्याज के साथ लौटाए. इसके साथ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस दौरान मानसिक तनाव से गुजरे सकरे को बैंक हर्जाने के रूप में 10,000 रुपए दे. कोर्ट ने कानूनी कार्यवाई में हुए खर्चे के लिए सकरे को अतिरिक्त 2000 रुपए दिए जाने का भी आदेश दिया.
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हम राजेश सकरे के हौसले और न्याय के लिए लड़ने के उनके जज्बे को सलाम करते हैं. Next…
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