पिछली यूपीए सरकार के कोयला घोटाले की आँच अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि व्यापमं घोटाले की जाँच की माँग ने भाजपा के नेताओं के चेहरों की तपिश बढ़ा दी है. चारा, खनन, एनआरएचएम, कॉमनवेल्थ, कोलगेट, ललितगेट और अब व्यापमं नेताओं और भारतीय राजनीति के ऊपर जो बदनुमा दाग छोड़ गये हैं उसकी सफाई मुश्किल ही नहीं असम्भव भी है. जब हर ज़ुबाँ पर व्यापमं ही व्यापमं है तब यह जानना जरूरी हो जाता है कि घोटालों की भीड़ में मध्यप्रदेश से निकल हर भारतीय की ज़ुबाँ पर चढ़ बैठने वाली ये चिड़ियाँ कौन-सी बला है-
क्या है व्यापमं?
सरकारी नियुक्तियों के लिये हर राज्य में एक तरह के बोर्ड का गठन किया गया है. जैसे बिहार में बिहार लोक सेवा आयोग और बिहार कर्मचारी चयन आयोग, केंद्र के स्तर पर संघ लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग. ठीक इसी तरह मध्यप्रदेश में सरकार की सेवा के लिये जिस कानूनी ईकाई की स्थापना की गयी है उनमें से एक है व्यवसायिक परीक्षा मंडल. संक्षिप्त रूप से इसे ही व्यापमं कहते हैं. यह ईकाई पेशेवर पाठ्यक्रमों जैसे मेडिकल में प्रवेश के लिये परीक्षायें आयोजित कराने के अलावा राज्य सरकार के विभिन्न पदों पर नियुक्तियों के लिये भी परीक्षायें आयोजित कराता है.
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कैसे आया घोटाला सामने?
यूँ तो व्यापमं द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में धांधली का मामला पहले से उठता रहा लेकिन वर्ष 2008 से 2013 के बीच इसमें धांधली अपने चरम पर पहुँची और जनता को अपनी ओर आकर्षित करने लगी. वर्ष 2009 में इंदौर के रहने वाले चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद राय ने व्यापमं में धांधली का रहस्योद्घाटन किया. उन्होंने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में इन घांधलियों का ज़िक्र करते हुए एक जनहित याचिका दायर की.
कैसे होती रही धांधलियाँ?
माना जा रहा है कि व्यापमं घोटालों में ऊँचे-ऊँचे पदों पर आसीन अधिकारियों के अलावा विभिन्न पार्टियों के नेताओं, मंत्रियों और उनके सगे-संबंधियों लिप्त रहे हैं. अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए व्यापमं परीक्षाओं में सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, नेताओं और मंत्रियों ने पैसे लेकर छात्रों को मेडिकल, इंजीनियरिंग की सीट दिलायी. इसके अलावा मध्यप्रदेश की पुलिस सेवा और अन्य नौकरियों का पैसे लेकर बंदरबाँट हुआ. धांधली में लिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों ने पैसों का भुगतान करने वाले छात्रों और अपने रिश्तेदारों को पास कराने के लिये मुफ़ीद जगह पर उन्हें सीट दिलायी. वहीं कुछ की खाली कॉपियों को बाद में रंगा गया. कुछ के नाम सीधे परीक्षाफल में जोड़ दिये गये.
कौन-कौन हुए गिरफ़्तार?
व्यापमं घोटाले के अंतर्गत शिक्षक पात्रता परीक्षा में अनियमितता के आरोप में पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी ओ पी शुक्ला और सहायक सुधीर शर्मा को हिरासत में लिया गया. फॉरेस्ट गार्ड की नियुक्तियों में धांधली के आरोप में मध्यप्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव को इस्तीफा देने को कहा गया था. सब इंस्पेक्टर की बहाली में राज्य में तैनात भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी आर.के शिवहरे को हिरासत में ले लिया गया. अभी वो सेवा से निलंबित हैं.
क्यों जारी है हत्यायें?
व्यापमं घोटाले के तार उच्च पदों पर बैठे कई अधिकारियों, कर्मचारियों और यहाँ तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी जुड़े होने के कयास लगाये जा रहे हैं. लंबे समये से चली आ रही धांधली और उससे रसूख वाले लोगों के जुड़े होने के कारण इस घोटाले से संबंधित गवाहों या मामले से किसी भी तरह का संबंध रखने वाले लोगों की हत्याओं का सिलसिला जारी है.
क्यों कर रहे हैं लोग आत्महत्या?
व्यापमं घोटाले से संलिप्तता उजागर होने, नौकरी छूट जाने, करियर बर्बाद हो जाने के डर से गलत तरीक़े से व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं को पास करने वाले लोगों के आत्महत्या की ख़बरें आ रही है.
अब तक कितने मरे?
अब तक मिली ख़बरों के अनुसार व्यापमं घोटाले से जुड़े करीब 46 लोगों को दुनिया छोड़ने पर विवश होना पड़ा है. इनमें जाँच से जुड़े लोगों के अलावा गवाहों, छात्रों, प्रशिक्षु इंस्पेक्टर, कॉलेज के डीन और इस ख़बर की तह तक जाने का प्रयास करते पत्रकार की जानें चली गयी हैं.
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संघीय सरकार और उच्चतम न्यायलय क्या कर रही है?
मध्यप्रदेश के व्यापक व्यापमं घोटाले की जाँच को लेकर अब तक संघीय सरकार ने कोई ठोस पहल नहीं की है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस मामले में आश्चर्यजनक रूप से चुप्पी साधे हुए है. इसके अलावा उच्चतम न्यायलय ने भी समय रहते इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत नहीं समझी.Next….
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