धरती पर हर रोज अतंरिक्ष से तकरीबन 100 टन मलबा गिरता है. हालांकि यह मलबा छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों के रुप में होता है. इनमें से ज्यादातर धरती के वातावरण में घर्षण के कारण जल जाते हैं इसलिए हमपर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन प्रोफेसर रॉबर्ट वॉल्श का कहना है कि अगले हफ्ते धरती से एक ऐसा उल्का पिंड टकरा सकता है जो धरती पर जीवन को समाप्त कर दे. हालांकि नासा ने ऐसी किसी संभावना की न्यूनतम आशंका जताई है लेकिन प्रोफेशर वॉल्श के तर्कों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
मिरर में छपी खबर के अनुसार वॉल्श का कहना है कि जो हस्र डायनासोर का हुआ वह इंसानो का भी हो सकता है. ऐसा भी नहीं है कि यह संभावना दूर भविष्य की है. कुछ शंकालु एक्सपर्टों की आशंका अगर सच साबित होती है तो 22 से 28 सितंबर के बीच कभी भी धरती का आखिरी दिन हो सकता है. उनके अनुसार हमारे ग्रह पर कई तरह की विपत्तियां टूटने वाली हैं. इनमें उल्का पिंड का धरती से टकराना, भूकंप, सुनामी आदी शामिल हैं.
Read: भविष्यवाणी: क्या ‘खूनी चांद’ से 28 सितंबर को खत्म हो जाएगा पूरा विश्व?
हालांकि नासा का कहना है कि वे लगातार आसमान की निगरानी कर रहें हैं और उन्हें निकट भविष्य में धरती पर किसी उल्का पिंड गिरने का कोई संकेत नहीं मिला है.
नासा के एक प्रवक्ता ने कहा कि, “नासा ऐसे किसी भी क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के बारे में जानकारी नहीं है जो धरती से टकराने वाला है, ऐसे किसी प्रमुख टकराहट की संभावना बेहद कम है.” वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकाशायर में अनुसंधान के कार्यकारी निदेशक पद पर कार्यरत प्रोफेसर रॉबर्ट वॉल्श इस विषय पर अपने व्यापक एतिहासिक ज्ञान के आधार पर कुछ और ही संभावना जताते हैं.
Read: पृथ्वी पर मौजूद हैं कई अमर इंसान, कैंब्रिज के वैज्ञानिक का दावा
दो साल पहले ही फरवरी 2013 में एक लॉरी के आकार का उल्का पिंड साइबेरिया के चेल्याबिंस्क शहर के उपर आकाश में विस्फोट के साथ फट पड़ा. इस दृश्य को कई लोगों ने अपने फोन कैमरे में भी कैद किया. इस विस्फोट से निकली उर्जा के कारण कई खिड़कियों के शीशे टूट गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए.
हालांकि यही विस्फोट अगर ज्यादा आबादी वाले इलाके जैसे लंदन, न्यूयॉर्क या बिजींग के आसमान में हुआ होता तो ज्यादा विनाशकारी सिद्ध हो सकता था. Next…
Read more:
Read Comments