एक प्रेमी जोड़े के गुस्से के कारण जीवीके बायोसाइंसेज को अंतरराष्ट्रीय जांच के घेरे में आना पड़ा. इतना ही नहीं, इस संस्था द्वारा टेस्ट की गई 700 जेनरिक दवाओं की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.
अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में छपी विशेष रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी का एक कर्मचारी का अपनी एक जूनियर सहयोगी के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा था. सन 2011 में दोनों एक साथ भाग गए जिसके बाद लड़की के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद कंपनी ने उस कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया. आपको बता दें कि हैदराबाद में स्थित जीवीके बायोसाइंसेज विश्व की सबसे बड़ी कॉंट्रेक्ट रिसर्च संस्थाओं में से एक है. इस संस्था में ढ़ेरो जेनरिक दवाओं के टेस्टिंग का कार्य होता है.
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पुलिस ने अपनी जांच के दौरान इस कर्मचारी के ईमेल्स को खंगाला और पाया कि उसने विश्व की सभी बड़ी नियामक प्राधिकरणों को जीवीके बायोसाइंसेज में होने वाले रिसर्च की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए मेल लिखे थे. कंपनी से नाराज यह कर्मचारी अपने मकसद में कामयाब रहा.
अंतरराष्ट्रीय दवा संस्थाओं ने जीवीके बायोसाइंसेज के निरक्षण की मांग की और कंपनी पर रिसर्च डाटा के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया. इस आरोप के आधार पर यूरोपियन यूनियन ने इस संस्था द्वारा टेस्ट की गई 700 जेनरिक दवाईयों पर प्रतिबंध लगा दिया. यूरोपियन यूनियन के इस कदम का भारत सरकार ने विरोध किया था और यूरोपियन यूनियन के साथ मुक्त व्यापार की वार्ता को स्थगित कर दिया था जो कि दो साल के अंतराल के बाद इस वर्ष अगस्त में फिर से प्रारंभ हुई.
कंपनी के एक प्रवक्ता ने अपने लिखित बयान में इन तथ्यों की पुष्टि करते हुए लिखा है कि “संबंधित कर्मचारी शादीशुदा था और उसके दो बच्चे भी थे, बावजूद इसके वह अपने कनिष्ठ सहयोगी के साथ अवैध संबंधों में लिप्त था. इस मामले को सुलझाने के लिए उसने सितंबर 2011 में कंपनी से इस्तीफा दे दिया लेकिन बाद में अपने व्यक्तिगत मामलों के लिए कंपनी को दोष देने लगा.”
जनवरी 2013 से अक्टूबर 2013 के बीच इस कर्मचारी ने यूनाइटेड स्टेट फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, डब्लूएचओ, ऑस्ट्रेलियन एजेंसी फॉर हेल्थ एंड फूड सेफ्टी, नेशनल एजेंसी ऑफ मेडेसीन और हेल्थ प्रोडक्ट्स सेफ्टी जैसी संस्थाओं को कुल 15 मेल लिखे हैं जिसमें उसने जीवीके बायोसाइंसेज की जांच करने की मांग की है.
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यूरोपियन ड्रग रेगुलेटर्स द्वारा इन भारतीय जेनरिक दवाओं पर प्रतिबंध के ऊपर प्रतिक्रिया देते हुए वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह इस कदम से निराश एवं चिंतित हैं. ज्ञात हो कि कई बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी और भारतीय जेनरिक दवा निर्माताओं में लंबे अरसे से तनाव चल रहा है. जहां बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां भारत में बौद्धिक संपदा के अधिकारों की खराब स्थिति की शिकायत करती हैं वहीं भारत के जेनरिक दवा निर्माताओं का आरोप है कि बड़ी दवा कंपनियां पेटेंट का बहाना बनाकर सस्ती भारतीय दवाओं को गरीब मरीजों तक पहुंचने से रोकती हैं. Next…
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