बदलते परिवेश में दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है. यहां हर कोई स्वतंत्र होकर अपनी पहचान बनाना चाहता है. दुनिया की आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाएं भी, पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे निकल रही हैं. लेकिन दूसरी ओर अरब देशों में महिलाओं के प्रति मानसिकता बहुत ही संकीर्ण है. अरब देशों की महिलाओं के प्रति सोच को सभी जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं जहां इन अरबी महिलाओं को अपने ही देश में अपनी आजादी के लिए कट्टरपंथियों से जूझना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ ये अरबी महिलाएं अमेरिका के लिए एक मिसाल रह चुकी हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘स्टेचू ऑफ लिबर्टी’ की.
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अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित इस ‘स्टेचू’ को लोकतंत्र और आजादी का पर्याय माना जाता है. हाल में की गई रिसर्च के मुताबिक इतिहासकारों का कहना है कि इस स्टेचू को एक अरब महिला से प्रेरित होकर बनाया गया था. सीरिया और अन्य मुस्लिम देशों में छिड़े गृह युद्धों के कारण बहुत सी महिलाओं समेत लोगों का पलायन अमेरिका की तरफ होने लगा है. जिसके चलते बरसों पुरानी इस बहस को और भी ज्यादा हवा मिलने लगी है. अमेरिका के नेशनल पार्क सर्विस संस्थान का कहना है कि फ्रांस के एक मशहूर मूर्तिकार फ्रेडेरिक अगस्टे ने 1855-1856 में मिस्र की यात्रा की थी. उन्हें जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीकों, मूर्तियों और चित्र बनाने का बहुत शौक था. वो न्यूयॉर्क के लिए कोई विशाल प्रतीक बनाना चाहते थे. इसी दौरान 1869 में मिस्र की सरकार ने स्वेज नहर के लिए एक लाइट हाउस बनाने का प्रस्ताव पारित किया.
एक मशहूर चित्रकार और मूर्तिकार होने के नाते फ्रेडेरिक ने लबादा पहने हुए एक महिला की विशाल मूर्ति बना दी, जिसने हाथों में टार्च भी पकड़ रखा था. फ्रेडेरिक के हुनर का ये नमूना मिस्र सरकार को भा गया. जिसे आगे चलकर मिस्र (इजिप्ट) की तरक्की का प्रतीक माना गया. इसे एशिया में रोशनी लाने वाले प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है. इस तरह न्यूयॉर्क में बनी ‘स्टेचू ऑफ लिबर्टी’ की विशाल मूर्ति का मूलभूत खाका मिस्र में फ्रेडेरिक द्वारा बनाई गई अरबी महिला की उस विशाल मूर्ति से लिया गया है. अमेरिका के ‘स्टेचू ऑफ लिबर्टी’ से जुड़े अन्य तथ्य बेरी मोरेनो ने ‘यूएस फंडेड स्मिथसोनियन इंस्टीटूशन’ में पेश की एक थ्योरी में उल्लेखित किया था…Next
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