उत्तर भारत की खाप पंचायत अपनी तालिबानी और दकियानुसी फरमानों के लिए पहचानी जाती है, लेकिन हरियाणा के जिंद में एक खाप पंचायत ने ऐसा निर्णय लिया है जिसे भ्रूण हत्या के मामले में सकारात्मक और ऐतिहासिक माना जाएगा.
सबको चौकाते हुए अपने इस फरमान में खाप पंचायत ने दहेज प्रथा जैसी कुरूतियों को खत्म करने का निर्णय लिया है. उन्होंने रस्म के तौर पर ‘एक रुपए दहेज’ की रकम को तय किया है. इसके अलावा खाप पंचायत ने तय किया है कि जो परिवार या दंपत्ति दो लड़कियों के बाद संतान पैदा नहीं करेगा उसे सम्मानित किया जाएगा.
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खाप पंचायत ने अपने समाज के भले के लिए कुछ और फरमान सुनाएं हैं. उनके अनुसार शादियों में होने वाले फिजूल खर्चे को कम किया जाए. इसके लिए पूरे बारात को शादी में ले जाने की बजाय 21 लोगों को बारात में ले जाया जाए. इससे वधू पक्ष पर बेकार का बोझ नहीं पड़ेगा.
एक और अहम फैसले में खाप ने कहा है कि किसी की मौत पर अब 13 दिन की बजाय केवल 7 दिन का शोक मनाया जाए और मौत पर आटा, दाल और घी न ले जाया जाए. उल्लेखनीय है कि जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो यहां ससुराल पक्ष के लोग आटा, दाल और घी लेकर जाते हैं. इसे गलत करार देते हुए खाप ने कहा कि इस पुरानी परंपरा को समाप्त किया जाना चाहिए.
यह सर्वविदित है कि अन्य राज्यों के मुकाबले हरियाणा में लिंगानुपात बहुत ही खराब है. यहां 1000 पुरूष पर 879 महिलाएं हैं. लड़कियों की आबादी कम होने की वजह से यहां शादी के लिए लड़की मिलनी मुश्किल हो गई है. हालत यहां तक बदतर है कि परिवारवालों को अपने विवाह योग्य लड़कों के लिए लड़कियां दूरदराज के इलाकों से नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से लानी पड़ रही है….Next
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