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आया था भारत छुट्टियां बिताने चार लोगों की जिंदगी बदल चला गया नन्हा फरिश्ता

अपने माता पिता और बहन के साथ मुंबई घूमने आए सात साल के नन्हें देयान उडानी को कहाँ पता था कि यह उसके जीवन की आखिरी यात्रा होगी. जाते-जाते भी इस नन्हें फरिश्ते ने अपने अंगों का दान करके चार लोगों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार कर गया.


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मुंबई में छुट्टियाँ बिताकर सिडनी जाने से 2 घंटे पहले देयान ने सिर में तेज दर्द की बात अपने माता पिता से की. अभिभावक उसे नानावती अस्पताल ले गए. वहाँ उसके दिमाग में जमें खून के कई थक्कों का इलाज किया गया. फिर उसे माहिम स्थित पीडी हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 27 जनवरी को उसकी सर्जरी की गई. लेकिन सर्जरी सफल नहीं हुई और बच्चे को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया.


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इतने दुख में होने के बावजूद भी परिवारजनों ने बच्चे के अंगों को दान करने का फैसला किया. बच्चे का दिल, लीवर और किडनी दान किया गया. उसके दिल को 7 साल की एक लड़की माधवी विश्वकर्मा में लगाया गया जिसके पास डॉक्टर के अनुसार एक ही हफ्ता बचा था. देयान की किडनी 11 और 15 साल के दो बच्चों को दी गई और उसका लिवर 31 साल की महिला को दान किया गया. इस तरह देयान मुंबई का सबसे कम उम्र का अंगदाता बन गया…Next


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