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मोबाइल टॉर्च की रोशनी में चल रहा था इस अस्पताल में मरीज का ऑपरेशन

उसके पेट में चाकू से वार किया गया था उसे जल्द से जल्द इलाज की जरूरत थी. डॉक्टर भी उसके इलाज में कोई कोताही बरतना नहीं चाहते थे. इसलिए जल्द से जल्द उसके पेट को चीर कर उसका इलाज शुरू कर दिया गया. लेकिन तभी अस्पताल की बत्ती गुल हो गई. हैरानी की बात ये है कि ऐसे वक्त में जनरेटर अपने आप शुरू हो जाता था लेकिन उस समय जनेरटर भी बंद हो गया. इधर मरीज का पेट खुला होने के कारण खून रिसता जा रहा था. लेकिन अगले ही पल डॉक्टर टीम ने वो कर दिखाया जिसकी कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता. दरअसल डॉक्टर टीम ने अपने-अपने मोबाइल निकाले और टॉर्च ऑन कर दिए. जिससे अंधेरे में कुछ रोशनी जरूर हो गई.


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आपको जानकर हैरानी होगी कि डॉक्टर टीम की इस जल्दबाजी और सूझबूझ की बदौलत मरीज की जान बच गई. गौरतलब है कि अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में दिनेश पाटनी नाम के एक व्यक्ति को गंभीर हालत में लाया गया था. उनके लीवर में दर्द हो रहा था. उनके पेट में किसी गुंडे ने चाकू मार दिया था. उनके पेट से लगातार खून बहता जा रहा था. उनके घायल पेट की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पेट में हुए 3 सेंटीमीटर घाव के कारण, उनकी आंते तक दिख रही थी. ऐसे में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया. लेकिन ऑपरेशन टेबल पर लिटाने के कुछ समय बाद ही अचानक लाइट चली गई. उनकी गंभीर हालत को देखते हुए, डॉक्टर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. इसलिए लाइट के जुगाड़ में इधर- उधर भागने की बजाय बचाव टीम ने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज करना बेहतर समझा.

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इस बचाव टीम में डॉक्टर पार्थ दलाल, डॉक्टर आशू जैन, डॉक्टर धुव्र बारू, और डॉक्टर एम. मरीराज थे, जिन्होंने फुर्ती दिखाते हुए इलाज जारी रखा. इस बारे में डॉक्टर पार्थ ने बताया ‘हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था. अगर हम इंतजार करते तो मरीज की जान भी जा सकती थी. क्योंकि हम उसके पेट में चीरा लगा चुके थे. जिससे खून बड़ी तेजी से रिस रहा था. ऐसे में हमें किसी कानून या नियम से ज्यादा मरीज की परवाह थी’. बहरहाल, टीम की उस सूझबूझ से मरीज की जान तो बच गई. लेकिन अस्पताल के दूसरे सीनियर डॉक्टर्स ने आगे से ऐसा न करने की सख्त हिदायत दी है. साथ ही तकनीकी टीम को लाइट और दूसरी चीजों के लिए कड़ी फटकार भी लगाई है…Next

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