बीते सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से एक सवाल पूछा ‘क्या है देशद्रोह’. दरअसल जेएनयू विद्यार्थी अध्यक्ष कन्हैया कुमार के मामले में दिल्ली पुलिस ने कन्हैया के ऊपर कथित तौर पर दोषी मानते हुए देशद्रोह का आरोप लगाया है. कन्हैया पर आरोप है कि उन्होंने भारत विरोधी नारे लगाए.
हार्दिक पटेल समुदाय के लोगों को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे थे. हार्दिक के ऊपर आरोप है कि उनके नेतृत्व में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.
क्या है भारतीय दंड संहिता की धारा-124A
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124A के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति देश के खिलाफ लिखकर, बोलकर, संकेत देकर या फिर अभिव्यक्ति के जरिये विद्रोह करता है या फिर नफरत फैलाता है या ऐसी कोशिश करता है तो देशद्रोह है. यह कानून ब्रिटिश सरकार की देन है जो आजादी के बाद भारत ने अपना लिया था.
Read: अब इस जेल में आप भी गुजार सकते हैं राते…
कितनी है सजा
आईपीसी के इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की कैद या उम्रकैद की सजा हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है
आजादी के बाद से इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए देश की सर्वोच्च न्यायालय ने कई फैसले भी सुनाए हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह साफ होता है कि सरकार की आलोचना या प्रशासन पर टिप्पणी भर से देशद्रोह का मामला नहीं बनता, बल्कि उस विद्रोह के कारण हिंसा और कानून और व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो जाए तभी देशद्रोह का मामला बनता है.
दुरुपयोग को रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा-196
धारा-124 ए का कोई दुरुपयोग न करे इसके लिए सीआरपीसी की धारा-196 बनाया गया है. इसके तहत पुलिस को किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने के लिए केंद्र अथवा राज्य सरकार के संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी लेनी होगी….Next
Read more:
जेल जाने से बचना है तो कभी न करें रेल में ये 10 गलतियां
जेल में भोजन करना है तो यहां आइए
जेल में घुसते ही पर्यटकों को बनाया गया कैदी
Read Comments