रौब दिखाना अच्छी बात है लेकिन कहां दिखाया जाए शायद ये ट्रेनी आईएएस अधिकारी भूल गए थे. छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले के डॉक्टर जगदीश सोनकर अभी पूरी तरह से एसडीएम के रंग में भी नहीं आए कि नवाबगिरी दिखाने के चलते विवादों में फंस गए हैं.
उनकी नवाबगिरी तब दिखी, जब वह एक सरकारी अस्पताल में बेड पर जूता रखकर मरीज का हालचाल जानने की कोशिश कर रहे थे. वह तो भला हो आज के इस मोबाइल और सोशल मीडिया युग का जिसने उनकी हरकत को कैमरे में कैद करके इंटरनेट पर वायरल कर दिया. डॉक्टर जगदीश सोनकर की यह तस्वीर तब की है, जब वह रामानुजगंज में सरकार की योजनाओं के अंतर्गत संचालित पोषण पुनर्वास केन्द्र में कुपोषित बच्चों का हालचाल ले रहे थे.
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वैसे ‘रौब’ के भी अपने ही रंग है. यह किसी पढ़े-लिखे जागरूक इंसान के सामने नहीं आती बल्कि अनपढ़, किसान और मजदूर को ही अपना टारगेट बनाती है. यह उन्हीं के ईर्द-गिर्द घुमती रहती है. वैसे नए-नए एसडीएम बने डॉ. जगदीश सोनकर ने नहीं सोचा होगा कि उन्हें उनके काम की वजह से नहीं बल्कि रौब झाड़ने के चलते पहचान मिलेगी.
एसडीएम सोनकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने जाने से पहले एमबीबीएस भी रह चुके हैं. अब सोचने वाली बात है कि अगर वह किसी अस्पताल में डॉक्टर होते तब उनका व्यवहार मरीजों के साथ कैसा होता? खुद डॉक्टर होने के बाद भी सोनकर शायद यह भूल गए कि वो उस कुपोषित बच्चे के मुंह के सामने अपना जूता टिकाकर खड़े हैं…Next
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