कानून सभी के लिए एक है. आप चाहे किसी भी धर्म, वर्ग, जाति या समुदाय से सम्बध रखते हों, लेकिन कानून की नजर में आप सिर्फ एक नागरिक हैं. जिनके समान अधिकार और कर्तव्य है. लेकिन कानून की इस मूल भावना को जानते हुए भी हमारे बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी निजी राय और शंकाओं से इतने ग्रस्त होते हैं कि किसी नागरिक के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने से भी पीछे नहीं हटते. ऐसा ही मामला पेश आया था सेरिब्रल पाल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) रोग की शिकार युवती के साथ. दरअसल करीब 4 साल पहले जीजा घोष नाम की महिला स्पाइसजेट फ्लाइट में सफर कर रही थी.
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उन्हें गोवा में एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस अटेंड करने के लिए जाना था. इस दौरान फ्लाइट के कैप्टन की नजर उन पर पड़ी. कैप्टन को देखकर उन्हें न जाने क्यों किसी खतरे का आभास हुआ. उसने जीजा से बोर्डिंग पास दिखाने के लिए कहा. जीजा इससे पहले की अपने बारे में कुछ कह पाती उन्हें फ्लाइट अटेंडेंट से कहकर फ्लाइट से उतार दिया गया. ये जानते हुए कि उन्हें इंटरनेशनल कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए गोवा जाना है. इस दौरान जीजा को न सिर्फ एक जरूरी काम से हाथ धोना पड़ा बल्कि उन्हें सबके सामने अपमान भी सहना पड़ा.
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जीजा और उनके घरवालों ने वकील की मदद लेते हुए इस स्पाइसजेट पर केस करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सार्वजनिक अपमान का मामला मानते हुए कोर्ट ने 4 साल बाद जीजा के हक में फैसला दिया. कोर्ट ने स्पाइसजेट फ्लाइट को 10 लाख मुआवजा जीजा को देने का आदेश दिया. जीजा की इस जीत को दिव्यांग (स्पेशली अब्लेड) समुदाय की जीत माना जा रहा है. अदालत के इस फैसले से छोटी मानसिकता रखने वाले लोगों को भी एक सबक मिलेगा…Next
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