कहते हैं नौकरी करने से कोई अमीर नहीं बनता. नौकरी सिर्फ जीवनयापन करने के लिए होती है. चलिए, ये तो बात हुई नौकरीपेशा लोगों की. अब भिखारियों के बारे में क्या ख्याल है आपका? जो दिन भर एक-एक रुपए जोड़कर बहुत मुश्किल से अपना पेट भर पाते हैं. आप यही सोच रहे होंगे, लेकिन जरा एक बार फिर से सोच लीजिए, कुछ भिखारियों की कमाई आपसे कहीं बेहतर हो सकती है. जी हां, अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के बाहर संकरी गलियों में आपको ऐसे भिखारी मिल जाएंगे जिनका बैंक अकाउंट है.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
आपको जानकर हैरानी होगी कि इनके पास सिर्फ इनका बैंक अकाउंट ही नहीं है बल्कि डेबिट-एटीएम कार्ड भी है. जिससे वो अपनी जरूरतनुसार पैसे निकालते हैं. यहां पर रहने वाले प्रकाश कई साल पहले अजमेर दरगाह पर आए थे. असल में एक दुर्घटना में उनके पैर कट गए थे. तब वो ख्वाजा से दुआएं मांगने आए थे, जब वो बाहर बैठे थे तो लोगों ने उन्हें भिखारी समझकर पैसे देने शुरू कर दिए.
शुरुआत में प्रकाश को बहुत बुरा लगा, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने ये चीज स्वीकार कर ली. वहीं दूसरी तरफ दूसरी भिखारी 62 वर्षीय नसीमा खानू हैं, जो किशनगढ़ से 30 किलोमीटर रोज़ाना आकर दरगाह के आस-पास भीख मांगती है. हर दूसरे-तीसरे दिन नसीमा राष्ट्रीय बैंक में पैसे जमा करती हैं और एटीएम कार्ड से बैलेंस चेक करती रहती हैं.
अजमेर की इस दरगाह पर सिर्फ ये दो भिखारी ही नहीं है, बल्कि यहां पर बहुत से ऐसे भिखारी है जो रोजाना 200 रुपए बैंक में जमा करते हैं और जरूरत पड़ने पर अपने अकाउंट से पैसे निकालते हैं. आपको भिखारियों का ये लाइफस्टाइल सुनकर हैरानी हो रही होगी लेकिन यहां के लोगों के लिए ये बात आम हो चली है. कई लोगों का कहना है कि इन भिखारियों के पास अच्छी-खासी रकम इकट्ठी हो चुकी है…Next
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