चैनल बंद का मुद्दा, दिल्ली का पॉल्यूशन कल रात से पहले ये दो मुद्दे सबसे ज्यादा सुर्खियों में थे, लेकिन कल रात 8 बजे के बाद से सारा घटनाक्रम बदल गया. जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी स्पीच में 500, 1000 के नोटों के बंद होने का ऐलान किया, देशवासियों में अफरा-तफरी मच गई. सभी लोग 500,1000 के नोटों को लेकर एटीएम और पेट्रोल पंप की तरफ दौड़ने लगे.
कल आधी रात के बाद से 500, 1000 के नोट के बंद होने से बेशक आम नागरिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इसे ब्लैकमनी पर लगाम कसने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. इस अचानक हुए फैसले ने सभी लोगों को हैरान कर दिया है. नोटों के बंद होने पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कुछ लोग इसे देश के हित में बता रहे हैं, तो कुछ लोग इसे आम आदमी की परेशानियां बढ़ाने की सबसे बड़ी वजहों में से एक मान रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि ये बड़ा फैसला जल्दबाजी में लिया गया है, मोदी सरकार ने फैसले को लेने के लिए एक रणनीति बनाई थी. कल रात 8 बजे से पहले मोदी के अलावा सिर्फ 6 लोग थे, जिन्हें इस फैसले की जानकारी थी. इन 7 लोगों में सबसे पहला नाम आता है प्रधानमंत्री मोदी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा, पूर्व और वर्तमान आरबीआई गर्वनर, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्तमंत्री अरुण जेटली. इन 7 लोगों की आर्मी के अलावा किसी को भी नोट बंद होने की जानकारी नहीं थी.
विभाग के एक अधिकारी का कहना है ‘हमारी रणनीति इसलिए सफल हुई क्योंकि ऐलान किए जाने तक सिर्फ हम सात लोगों को ही इसकी जानकारी थी.’ मोदी का ये कदम कितना कारगर साबित होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि दिल्ली का पॉल्यूशन कंट्रोल हो या न हो लेकिन मोदी ने मनी पॉल्यूशन कम करने की दिशा में ये कदम उठाकर देश भर में तहलका मचा दिया है…Next
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